तुझे नमन
करने को आते
जग के सारे
भक्त-प्रवर
मुझ जैसे
मलीन जड़बुद्धि
रहते खड़े
ठगे से अक्सर.
मैं दुविधा
में रहती हमेशा
ज्योति किरण
दिखाना माँ
घिरा है द्वन्द
का ताना-बाना
मुझको राह
दिखाना माँ .
दुनिया के
तुम पीड़ा हरती
वेदना मेरी
मिटाना माँ
पूजा का पलपल
सुखमय हो
अपनी हाथ
बढ़ाना माँ .
कैसे तुझसे
करूँ प्रार्थना
क्या मांगू
तुझसे वरदान
अंतर्यामी
होकर फिर क्यों
माँ बनती हो तुम अनजान.
मेरे बिगड़े
काम बना दो
रोशन कर दो
मेरा अंतर
मेरी भक्ति बनी रहे माँ
दिव्य चेतना दे दो भर-कर
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