शरद ऋतू की सुन्दर वेला
मनभावन मौसम अनुकूला
प्रकृति की ये छटा निखरती
मीठी मीठी हवा बिखरती
खुशियाँ हरपल छाई रहती
उमंग तरंग समायी रहती
नौ दिनों तक पूजन होती
माँ दुर्गे की अर्चन होती
आई माता शेरावाली
बाधा व्यथा मिटानेवाली
महिषासुर को मारनेवाली
राम को विजय दिलानेवाली
दयामयी अम्बे की जय हो
पथ दिखाओ अब न भय हो
रोम रोम से करूँ पुकार
निज बाँहों को दो ना पसार.
मनभावन मौसम अनुकूला
प्रकृति की ये छटा निखरती
मीठी मीठी हवा बिखरती
खुशियाँ हरपल छाई रहती
उमंग तरंग समायी रहती
नौ दिनों तक पूजन होती
माँ दुर्गे की अर्चन होती
आई माता शेरावाली
बाधा व्यथा मिटानेवाली
महिषासुर को मारनेवाली
राम को विजय दिलानेवाली
दयामयी अम्बे की जय हो
पथ दिखाओ अब न भय हो
रोम रोम से करूँ पुकार
निज बाँहों को दो ना पसार.
भारती दास ✍️
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