Sunday, 8 October 2023

परीक्षा(बाल-कविता)

 न हों चैन न कभी आराम

नही लेते पढने से विराम

हर-पल रहता एक ही ध्यान 

है परीक्षा उसी का नाम.

पढने के पीछे सब पड़ते 

पढो –पढो कहते ही रहते

पढने की होती नही इच्छा

देनी पड़ती है परीक्षा.

सबको आगे ही है बढना

पर सबसे इतना हो कहना

क्या होती है ऐसी शिक्षा

देनी पड़ती है परीक्षा.

आश लगी रहती है माँ की

पढने का भी बोझ है काफी

शिक्षक भी करते हैं समीक्षा

देनी पड़ती है परीक्षा.

भारती दास ✍️

6 comments:

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर

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  2. बिलकुल देनी पड़ती है परीक्षा ... आक का सिस्टम तो यही है ....

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर

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  3. परीक्षा तो जीवन के हर कदम पर होती है

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  4. बहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी

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