Thursday, 21 July 2022

पावन है भोलेनाथ का सावन

 आत्मस्थित जो महादेव हैं

वही अघोर हैं वही अभेद हैं

वही पवित्र हैं वही हैं पावन

वही संहारक वही हैं जीवन

कहीं हर्ष है कहीं शोक है

विषम दशा में भूमि लोक है

गरल-पान कभी किये सदाशिव

थे द्वेष दंभ सब हरे महा शिव

जप-तप पूजा और अभिषेक

सदा ही करते भक्त प्रत्येक

सर्वत्र व्याप्त है जिनकी शक्ति

शव से बनते जो शिव की उक्ति

रूद्र का अंश है हर जीवात्मा

निराकार निर्लिप्त भावना

करते हैं नर-नारी साधना

अभय बनाते शिव-अराधना

मंजू मनोरथ पूर्ण हो सारे

चिन्मय आस्था रहे हमारे

पावन है भोलेनाथ का सावन

मंगलमय हो हर घर प्रांगण.

भारती दास ✍️


31 comments:

  1. वाह! अत्यंत मोहक आराधना, महादेव भोले भंडारी की🙏

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  2. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शनिवार (23-07-2022) को चर्चा मंच    "तृषित धरणी रो रही"  (चर्चा अंक 4499)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'   

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  3. मंगलमय प्रार्थना भोले नाथ की!!साधुवाद!!

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  4. धन्यवाद अनुपमा जी

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  5. वाह वाह, सुंदर और सामयिक

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    1. धन्यवाद संगीता जी

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  7. भोलेनाथ की भव्य आराधना

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    1. धन्यवाद अनीता जी

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  8. बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना

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    1. धन्यवाद अभिलाषा जी

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  9. बहुत सुन्दर प्रार्थना
    वाह!!!

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    1. धन्यवाद सुधा जी

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    1. धन्यवाद शालिनी जी

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  11. बहुत सुंदर।
    सादर

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  12. धन्यवाद अनीता जी

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  13. भोलेबाबा से हार्दिक निवेदन ।सुंदर रचना ।

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  14. धन्यवाद जिज्ञासा जी

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  15. आत्मस्थित जो महादेव हैं
    वही अघोर हैं वही अभेद हैं
    वही पवित्र हैं वही हैं पावन
    वही संहारक वही हैं जीवन
    भगवान शिव को समर्पित अत्यंत सुन्दर भावाभिव्यक्ति 🙏

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  16. धन्यवाद मीना जी

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  17. बहुत सुंदर प्रार्थना, भारती दी।

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  18. धन्यवाद ज्योति जी

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  19. धन्यवाद सर

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