आत्मस्थित जो महादेव हैं
वही अघोर हैं वही अभेद हैं
वही पवित्र हैं वही हैं पावन
वही संहारक वही हैं जीवन
कहीं हर्ष है कहीं शोक है
विषम दशा में भूमि लोक है
गरल-पान कभी किये सदाशिव
थे द्वेष दंभ सब हरे महा शिव
जप-तप पूजा और अभिषेक
सदा ही करते भक्त प्रत्येक
सर्वत्र व्याप्त है जिनकी शक्ति
शव से बनते जो शिव की उक्ति
रूद्र का अंश है हर जीवात्मा
निराकार निर्लिप्त भावना
करते हैं नर-नारी साधना
अभय बनाते शिव-अराधना
मंजू मनोरथ पूर्ण हो सारे
चिन्मय आस्था रहे हमारे
पावन है भोलेनाथ का सावन
मंगलमय हो हर घर प्रांगण.
भारती दास ✍️
वाह! अत्यंत मोहक आराधना, महादेव भोले भंडारी की🙏
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शनिवार (23-07-2022) को चर्चा मंच "तृषित धरणी रो रही" (चर्चा अंक 4499) पर भी होगी!
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद सर
Deleteमंगलमय प्रार्थना भोले नाथ की!!साधुवाद!!
ReplyDeleteधन्यवाद अनुपमा जी
ReplyDeleteवाह वाह, सुंदर और सामयिक
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteबहुत सुंदर आराधना ।।
ReplyDeleteधन्यवाद संगीता जी
Deleteभोलेनाथ की भव्य आराधना
ReplyDeleteधन्यवाद अनीता जी
Deleteबहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteधन्यवाद अभिलाषा जी
Deleteबहुत सुन्दर प्रार्थना
ReplyDeleteवाह!!!
धन्यवाद सुधा जी
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद शालिनी जी
Deleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteसादर
अनीता जी
ReplyDeleteधन्यवाद अनीता जी
ReplyDeleteभोलेबाबा से हार्दिक निवेदन ।सुंदर रचना ।
ReplyDeleteधन्यवाद जिज्ञासा जी
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteआत्मस्थित जो महादेव हैं
ReplyDeleteवही अघोर हैं वही अभेद हैं
वही पवित्र हैं वही हैं पावन
वही संहारक वही हैं जीवन
भगवान शिव को समर्पित अत्यंत सुन्दर भावाभिव्यक्ति 🙏
धन्यवाद मीना जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रार्थना, भारती दी।
ReplyDeleteधन्यवाद ज्योति जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर ❤️
ReplyDeleteधन्यवाद सर
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