मन ही शत्रु मन ही मित्र
मन ही चिंतन मन ही चरित्र
मन से ही है दशा-दिशा
मन से ही है कर्म समृद्ध.
मन ही शक्ति मन ही ताकत
मन ही साथी मन ही साहस
हरता विकार दुर्बलता मन
मन ही आनंद की देता चाहत.
सत्य-असत्य और क्रोध तबाही
पग-पग पर देता है गवाही
भावनाओं में है रोता हंसता
मन रहता गतिमान सदा ही.
मन ही दर्पण मन ही दर्शन
मन ही राग वैराग तपोवन
मन से ही संगीत सुहाना
समस्त कामना जीवन है मन.
जहां तहां करता मन विचरण
प्रयत्न शील रहता है क्षण-क्षण
बंधन मोक्ष का बनता कारण
खुद ही मन करता अवलोकन.
भारती दास ✍️
सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteजहां तहां करता मन विचरण
ReplyDeleteप्रयत्न शील रहता है क्षण-क्षण
बंधन मोक्ष का बनता कारण
खुद ही मन करता अवलोकन.
वाह!!!
सही कहा मन से ही सब होता है मन नहीं तो कुछ भी नहीं ।
बहुत सुनकर सार्थक सृजन् ।
धन्यवाद सुधा ऊ
Deleteधन्यवाद सर
ReplyDeleteमन की महिमा अपार है
ReplyDeleteधन्यवाद अनीता जी
Deleteवाह! बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसादर
धन्यवाद अनीता जी
Deleteबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteधन्यवाद ज्योति जी
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