Sunday, 24 April 2022

बंधन मोक्ष का बनता कारण

 मन ही शत्रु मन ही मित्र

मन ही चिंतन मन ही चरित्र

मन से ही है दशा-दिशा

मन से ही है कर्म समृद्ध.

मन ही शक्ति मन ही ताकत

मन ही साथी मन ही साहस

हरता विकार दुर्बलता मन

मन ही आनंद की देता चाहत.

सत्य-असत्य और क्रोध तबाही

पग-पग पर देता है गवाही

भावनाओं में है रोता हंसता

मन रहता गतिमान सदा ही.

मन ही दर्पण मन ही दर्शन

मन ही राग वैराग तपोवन

मन से ही संगीत सुहाना

समस्त कामना जीवन है मन.

जहां तहां करता मन विचरण 

प्रयत्न शील रहता है क्षण-क्षण

बंधन मोक्ष का बनता कारण

खुद ही मन करता अवलोकन.

भारती दास ✍️




12 comments:

  1. जहां तहां करता मन विचरण

    प्रयत्न शील रहता है क्षण-क्षण

    बंधन मोक्ष का बनता कारण

    खुद ही मन करता अवलोकन.
    वाह!!!
    सही कहा मन से ही सब होता है मन नहीं तो कुछ भी नहीं ।
    बहुत सुनकर सार्थक सृजन् ।

    ReplyDelete
  2. धन्यवाद सर

    ReplyDelete
  3. मन की महिमा अपार है

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद अनीता जी

      Delete
  4. वाह! बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति।
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद अनीता जी

      Delete
  5. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति.

    ReplyDelete
  6. धन्यवाद ज्योति जी

    ReplyDelete