सजल श्याम घन आओ
सलिल सुधा बरसाओ....
कोमल-कोमल मानव पद-तल
कृषक कार्य करते हैं जल-जल
जन विह्वल कर जाओ
सलिल सुधा बरसाओ....
देखो निहारो इस धरती को
सूख रहे हर ताल नदी को
मृदुल धवल जल लाओ
सलिल सुधा बरसाओ....
वृक्ष रहा है बाट निहार
मुरझाए पत्तियाँ और डार
सकल मही हरषाओ
सलिल सुधा बरसाओ....
सलिल सुधा बरसाओ....
कोमल-कोमल मानव पद-तल
कृषक कार्य करते हैं जल-जल
जन विह्वल कर जाओ
सलिल सुधा बरसाओ....
देखो निहारो इस धरती को
सूख रहे हर ताल नदी को
मृदुल धवल जल लाओ
सलिल सुधा बरसाओ....
वृक्ष रहा है बाट निहार
मुरझाए पत्तियाँ और डार
सकल मही हरषाओ
सलिल सुधा बरसाओ....
सुन्दर कामनाओं को पिरोती बेहतरीन कृति। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteThanks a
ReplyDeleteLot