Wednesday, 12 January 2022

एक प्रखर युवा तपस्वी

 (जन्मदिन-विशेष)

12  जनवरी सन 1863 की सुबह भारत देश के लिए प्रेरक सुबह थी .इसी दिन स्वामी विवेकानंद जी के रूप में ईश्वरीय सन्देश का अवतरण हुआ था .श्री रामकृष्ण परमहंस जी ने इस दैवी अवतरण की अनुभूति अपने समाधिस्थ चेतना में कर ली थी. उन्होंने बड़े ही सहज भाव से कहा - ’’नरेन्द्र को देखते ही मैं जान गया कि यही है वो जिसे देवों ने चुना है ‘’.स्वामी जी का बचपन का नाम नरेन्द्र था जो बाद में विश्ववन्द्य स्वामी विवेकानंद के नाम से विख्यात हुए .

            स्वामी जी की चेतना ने सदा ही भारत के युवाओं के ह्रदय को झंकृत किया है .श्री अरविन्द ,नेताजी सुभाषचंद्र बोस ,महात्मा गांधी,जवाहरलाल नेहरु तथा आज के भी कई नेताओं और युवाओं के आदर्श रहे हैं .उनका सुन्दर मुख ,आकर्षक व्यक्तित्व ,सिंह के समान साहस,निर्भय भाव तथा उनकी आखों की गहराई हमेशा प्राणी –मात्र के लिए करुणाका सागर दिखाई देता है .अशिक्षित पददलित व गरीब मनुष्यों के प्रति अपार प्रेम व पीड़ा दोनों ही दर्शित हुए है .उनके स्वरों में सिंह की गर्जन है ,मधुर संगीत का प्रवाह है असीम प्रेम है दृढ विश्वास भी है.संभवतः इसीलिए उनका प्रत्येक शब्द युवाओं के लिए ही ध्वनित हुआ है .उनकी बातों का प्रभाव विद्युत् तरंगों की भांति असर करती है .

              जब कोई भी आदमी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए परिश्रम करता है परन्तु असफल होने पर टूट जाता है उसे हताशा घेर लेती है और वो आत्महत्या का निर्णय लेता है या निराशा से समझौता कर लेता है ,उस समय स्वामीजी की कही हुई उक्तियाँ एक नया राह दिखाती है .उनके व्याख्यान का अल्पांश ;-----



      ‘’ असफलता तो जीवन का सौन्दर्य है. यदि तुम हजार बार भी असफल हो तो एक बार फिर सफल होने का प्रयत्न करो .उनका ही जीवन सौन्दर्यमय है जिनके जीवन में निरंतर संघर्ष है .मानव जीवन का संग्राम ऐसा युद्ध है जिसे हथियार से नहीं जीता जा सकता .यह ध्रुव सत्य है की शक्ति ही जीवन है दुर्बलता जीवन की मृत्यु है .शक्ति ही अनंत सुख है ,चिरंतन है शाश्वत प्रवाह है.दुर्बल मन के व्यक्ति के लिए इस जगत में ही नहीं किसी भी लोक में जगह नहीं है .दुर्बलता शारीरिक व मानसिक रूप से तनाव का कारण है ,चेतना की मृत्यु है और  इसीलिए सभी प्रकार की गुलामी की ओर ले जाता है .ऐसे फौलादी विचार व मजबूत इरादों वाले लोगो की जरुरत है जिनकी वृति लोभ और दोष से परे हों.आत्म शक्ति से भरा व्यक्ति असफलता को धूल के समान झटककर फेंक देता है और निःस्वार्थ मन से अपने जीवन को सुखमय बना देता है.संवेदना का भाव प्रवाहित हो ,सबके के लिए दर्द हो, गरीब,मूर्ख और पददलित मनुष्यों के दुःख को अनुभव करो.संवेदना से ह्रदय का स्पंदन बढ़ जाये या मष्तिष्क चकराने लगे और ऐसा लगे की हम पागल हो रहे हैं तो इश्वर के चरणों में अपना ह्रदय खोल दो तभी शक्ति सहायता और उत्साह का वेग मिल जायेगा.मैं अपने जीवन का मूल मंत्र बताता हूँ की प्रयत्न करते रहो जव अन्धकार ही अन्धकार दिखायी दे तब भी प्रयत्न करते रहो तुम्हारा लक्ष्य मिल जायेगा.क्या तुम जानते हो की इस देह के भीतर कितनी उर्जा,कितनी शक्तियां, कितने प्रकार के बल छिपे पड़े हैं सिर्फ उसे बाहर निकलने की जरुरत है .उस शक्ति व आनंद का अपार सागर समाये हो फिर भी कहते हो की हम दुर्बल हैं .

”(व्यावहारिक जीवन में वेदान्त से)


उठो, जागो,और ध्येय प्राप्ति तक रुको नहीं.


ये दिव्य चेतना ने जो देह धारण की थी वह आज भले ही न हो पर उनकी प्रखर तेजस्वी स्वरुप देश की युवाओं को प्रेरित करते हैं और करते रहेंगे.

भारती दास ✍️

25 comments:

  1. बहुत सुंदर ज्ञानवर्धक तथ्य।
    युवा दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद कुसुम जी

      Delete
  2. ज्ञानवर्धक पोस्ट।
    युवा दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद अनुराधा जी

      Delete
  3. बहुत ही सुन्दर ज्ञानवर्धक आलेख
    शत शत नमन स्वामी विवेकानंद जी को🙏🙏🙏🙏

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद सुधा जी

      Delete
  4. मां भारती के अमर सुतका समस्त परिचय देता सुन्दर लेख भारती जी। स्वामी विवेकानंद एक ही हुए और युगों तक उनके व्यक्तित्व की गरिमा के समक्ष कोई आ खड़ा होगा इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है। भावपूर्ण लेख के लिए हार्दिक साधुवाद । स्वामी विवेकानंद को हार्दिक नमन 🙏

    ReplyDelete
  5. बहुत बहुत धन्यवाद रेणु जी

    ReplyDelete
  6. Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद सरिता जी

      Delete
  7. सार्थक पोस्ट।

    ReplyDelete
  8. बहुत बहुत धन्यवाद नितिश जी

    ReplyDelete
  9. मेरी समझ में तो स्वामी विवेकनद अवतार ही थे. उनकी जीवनी कितनी बार पढ़ी. कभी मन भरा नहीं. सुंदर लेख

    ReplyDelete
  10. बहुत बहुत धन्यवाद आपको

    ReplyDelete
  11. स्वामी विवेकानंद आदर्श और महान् विभूति हैं हमारे राष्ट्र के । उनके बारे पढ़ना सदैव सुखकर है 🙏

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद मीना जी

      Delete
  12. वाह । विवेकानन्द जी के बारे में सुंदर तथ्यपूर्ण जानकारी देता आलेख । बहुत शुभकामनाएं भारती जी ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद जिज्ञासा जी

      Delete
  13. ओजस्वी व्यक्तित्व पर सशक्त आलेख ।

    ReplyDelete
  14. बहुत बहुत धन्यवाद अमृता जी

    ReplyDelete
  15. ओजस्वी व्यक्तित्व पर ज्ञानवर्धक आलेख।

    ReplyDelete
  16. बहुत बहुत धन्यवाद ज्योति जी

    ReplyDelete
  17. बहुत सुंदर आलेख

    ReplyDelete
  18. बहुत बहुत धन्यवाद सर

    ReplyDelete