Saturday, 1 November 2025

हे दीनबंधु नरायणम्


सरोज नयनम् शेष शयनम्

हे घनाभ तन हे जनार्दन 

कर शंख चक्र सुशोभितम्

हे दीनबंधु नारायणम।

जय पद्मनाभम् लक्ष्मीकांतम्

जय श्री हरि जय विश्वेम्भरम्

हे सत्यरूपम् शान्ताकारम्

गरूड़ासनम् जगदीश्वरम्।

जय चतुर्भुजाय सुधाप्रदाय

 हे वृंदाप्रियम् परमेश्वरम्

हे महाबलाय सुलोचनाय

जय प्राणदाय पुरातनम् ।

जय वामनाय त्रिपदाय

जय सर्वनाथम् मंगलायम्

हे गगन सदृश्यम् विराट पुरुषम्

श्री विभु जय सनातनम्।

हे अनंत रुपम् हे सुरेशम्

अरुणाधरम्  हे मनोहरम्

असुरमर्दनम्  जगत वंदनम्

नमामि सिन्धु सुता वरम् ।

भारती दास ✍️ 



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