Tuesday 31 December 2019

मधुर अतीत बन जाने को है


पल-पल क्षण-क्षण बीत रहा है
विदा ये अंतिम ले रहा है
खट्टी-मीठी यादें देकर
नम नयन को कर रहा है.
मधुर अतीत बन जाने को है
मृदु इतिहास रच जाने को है
मौन रुप स्मृति में बसकर
उत्सर्ग समस्त कर जाने को है.
नव प्रभात  में उत्साह समाये
नव आलोक अनुराग सिखाये
नव तुषार के सघन मिलन से
नव आह्लाद जीवन हर्षाये.
दुआ यही है यही चाह हो
कुंज द्वार पर हंसी अथाह हो
संवरे बचपन हंसे मनुज मन
हर पल मंगलमय प्रवाह हो.

भारती दास



Saturday 28 December 2019

भाई याद बहुत आती है


भाईजी की पांचवी पुण्यतिथि पर वेदनापूर्ण श्रद्धांजली

भाई याद बहुत आती है
क्षण-क्षण उर को तड़पाती है....
लम्हा-लम्हा पल-पल गुजरा
भूल न पाई तेरा चेहरा
अश्क की धारा बह जाती है
हर शय हर कण कह जाती है
भाई याद बहुत आती है....
घर के कोने कोने में तुम
दहलीज़ों द्वारों में थे तुम
गूंज हंसी की छल जाती है
फिर धड़कन ये थम जाती है
भाई याद बहुत आती है....
त्योहारें आती बहुतेरे
मिल जाते हैं भूले बिसरे
आश दिलों की बढ जाती है
व्याकुल नजरें थक जाती है
भाई याद बहुत आती है....
भारती दास


Saturday 16 November 2019

बिहार विभूति वशिष्ठ नारायण

बिहार विभूति वशिष्ठ नारायण
थे भारत के गणितज्ञ महान
जीवन भर जो रहे तपस्वी
करुण हुआ उनका अवसान.
विदेशों में कीर्ति बिखेर कर
बने विश्व की वे पहचान
जीनियसों के जीनियस कहलाये
पथ अभिशापित क्यों हुआ तमाम.
दुख विभावरी छलना बनकर
अंधकार में लिया समेट
विक्षिप्त हो गये हुये विलीन
दर्द-वेदना की चढ गये भेंट.
आपदाओं की अभिवृष्टि ने
उर को आहत किया अथाह
व्यथा-निराशा कठोर सी पीड़ा
अवशाद-विषाद से उठे कराह.
उनकी दशा पर मेदिनी रोयी
गगन भी शोक मनाता रहा
उखड़ी सांसे स्पंदन टूटा
बेजान थका तन सोता रहा.
थे अलौकिक ज्ञान की मूर्ति
प्रबुद्ध-शुद्ध विराट महान
चिर नमन है उन्हें जगत का
स्मरणीय हो उनका हर काम.

भारती दास



Saturday 9 November 2019

आज रामजी लौटे हैं घर

आज रामजी लौटे हैं घर

दीप जलाये खुशी मनाये
इक दूजे को गले लगाये
स्वर्ग उतर आया है धरा पर
आज रामजी लौटे हैं घर....
कवि कल्पना में जीते हैं
लेकिन झूठ नहीं कहते हैं
तुलसी के मानस के ईश्वर
आज रामजी लौटे हैं घर....
पुण्य की धारा सदा सी बहती
कोमल शांत कथा सी कहती
विकल नीर बहता था झर-झर
आज रामजी लौटे हैं घर....
प्रेम से पागल हुआ जहां ये
मला अंग में रंग नया ये
रोम-रोम में पुलक है भरकर
आज रामजी लौटे हैं घर....
श्रद्धा है मंदिर-मस्जिद की
जैसे निर्गुण-सगुण की मूर्ति
उत्सव सा आया है अवसर
आज रामजी लौटे हैं घर....
राघव की महिमा है अनंत
दूर हुआ दुर्मति का दंभ
आदर्श रूप मर्यादा सुंदर
आज रामजी लौटे हैं घर.
भारती दास

Friday 27 September 2019

हे माधव भादव बरसे मेह


हे माधव भादव बरसे मेह
रजनी गाती गीत सुहानी
पवन जगाते नेह,
हे माधव....
दामिनी दमके गगन ये गरजे
सिहरते कोमल देह,
हे माधव....
प्रेम पुलक है धरती अंबर
हर्षाते उर-गेह,
हे माधव....
झर-झर बहती जल की धारा
रचते छंद ये मेघ,
हे माधव....
भारती दास ✍️



Saturday 24 August 2019

अखिल भुवन में जिनका वंदन

अखिल भुवन में जिनका वंदन
अरुण अधर पर वंशी रखकर
जो प्रेम राग को गाते हैं
वो मधुसूदन वो यदुनंदन
जग को अनुराग सिखाते हैं.
जिनके उर में राधा बसती
जो राधेश्याम कहाते हैं
दीनों के दुख हरने वाले
गोवर्धन को उठाते हैं.
सखा सुदामा के चरणों को
नयन नीर से धोते हैं
वो मनमोहन देवकीनंदन
दीनदयाल कहाते हैं.
ग्वालों के संग गाय चराते
 माखनचोर कहाते हैं
योगेश्वर के जन्म का उत्सव
भाव विभोर कर जाते हैं.
जिनके मुख से गीता निकली
जो जीवन ज्ञान सिखाते हैं
अखिल भुवन में जिनका वंदन
उनको शीश झुकाते हैं.

Happy Janmashtami
भारती दास


Wednesday 14 August 2019

नयी सदी का गान है

नयी सदी का गान है
 भारत देश महान है
 विश्व की पहचान है
 गौरवमय अभिमान है.
 एक ही अरमान हो
 व्यर्थ ना बलिदान हो
 सुखमय सुबहा-शाम हो
 हंसता हिन्दुस्तान हो
. देश प्रेम का भाव हो
आपस में सद्भाव हो
शांति का स्वभाव हो
 गांधी का प्रभाव हो.
 देना है संदेश ये
 स्वच्छ हो परिवेश ये
सुन्दरता का वेश ये
 अपना प्यारा देश ये.

 भारती दास ✍️

Saturday 3 August 2019

विघ्नों को भी गले लगाते


जिनके संग में मिलकर मन की
दुख सुख रोष सुनाते हैं
जिनकी स्नेहिल उष्मा पाकर
मृदुल अधर मुस्काते हैं.
विघ्नों को भी गले लगाते
जो कांटों में राह बनाते हैं
वो श्रद्धा की मूरत बनकर
उर आंगन बस जाते हैं.
जीवन की मधुमय बसंत हो
या झुकी कमर की गोधूलि शाम
दुर्गम क्षण में साथ निभाते
वही मित्र की है पहचान.

मित्रता दिवस की शुभकामनाएं

भारती दास


Wednesday 31 July 2019

फूल और शूल संग रहते हैं


फूल और शूल संग रहते हैं
एक ही वृन्त पर खिलते हैं
भिन्न-भिन्न गुण होते हैं
विवश शाख सब सहते हैं.
उर में दाह कंठ में ज्वाला
दर्प का कांटा विष का प्याला
कुलिश सदा देते हैं दर्द
चुभकर तन को देते कष्ट.
अंधरों पर मुस्कान सजाती
परोपकार में जान गंवाती
धरा साक्षिणी हरपल होती
जो करते बलिदान स्वप्न की.
सौम्य सुमन मन को हर्षाता
कठोर शूल बस दंश ही देता
स्वाभाव मानव का भी है ऐसा
फूल और शूल के गुणों के जैसा.


Saturday 15 June 2019

हे परमपिता


वो छांव थे वो धूप थे
वो सौम्य सुखमय रुप थे
था मोद का नहीं ओर-छोर
सुख वृष्टि था चारों ही ओर
नित दिन सुखद होता था भोर
था स्नेह की मजबूत डोर
मन एक था एक भाव था
सबका सरल स्वभाव था
शंका नहीं बस प्यार था
अनुपम सी नेह दुलार था
खो गये कहां हे परमपिता
वो करूणा भरे प्यारे पिता.

भारती दास


Saturday 8 June 2019

विद्यालय में बज गई घंटी (बाल-कविता)


विद्यालय में बज गई घंटी
खत्म हुई गर्मी की छुट्टी.....
कभी चौकड़ी भरते मृग से
कभी धूल उड़ाते पग से
गर्मी हमको छू नहीं पाती
सूर्य की ज्वाला जला नहीं पाती
करते थे हम ढेरों मस्ती
खत्म हुई गर्मी की छुट्टी.....
नये हैं जूते नयी पोशाकें
नया बैग है नयी किताबें
नये-नये अब मिलेंगे साथी
करेंगे बातें उन्हें अच्छी
ख़त्म हुई गर्मी की छुट्टी.....
विद्यालय में हम जायेंगे
शिक्षक का कहना मानेंगे
पढ़ना-लिखना हम सीखेंगे
नहीं किसी से अब रुठेंगे
झूठ नहीं कहते हम सच्ची
खत्म हुई गर्मी की छुट्टी.....







Saturday 1 June 2019

सजल श्याम घन आओ


सजल श्याम घन आओ
सलिल सुधा बरसाओ....
कोमल-कोमल मानव पद-तल
कृषक कार्य करते हैं जल-जल
जन विह्वल कर जाओ
सलिल सुधा बरसाओ....
देखो निहारो इस धरती को
सूख रहे हर ताल नदी को
मृदुल धवल जल लाओ
सलिल सुधा बरसाओ....
वृक्ष रहा है बाट निहार
मुरझाए पत्तियाँ और डार
सकल मही हरषाओ
सलिल सुधा बरसाओ....