ऊषा अर्चन-संध्या वंदन
प्रतिदिन का है धर्म-आचरण
ईश्वर की पूजा और आराधना
आशपूर्ण आस्था की भावना
आस्तिक करता है विश्वास
धर्म-कर्म और स्वर्ग की खास।
लेकिन नास्तिक कहता है
लोग समय को नष्ट करता है
परलोक का कोई सुधार नहीं है
स्वर्ग-नर्क का आधार नहीं है
किसने देखा है मृत्यु के बाद
लय-गति होता प्राण का वास
यह है सिर्फ संभावना मात्र
नहीं पता है स्वर्ग की बात।
ईश्वर का अस्तित्व वैज्ञानिक
नहीं किये है अभी प्रमाणित
मिथ्या है या फिर अनिश्चित
पूजन का नियम बनाया दैनिक
अनुशासन से बाँधा है आस्तिक।
अध्यात्म से ही कर्म-जगत है
भक्ति से ही भक्त सहज है
छल-प्रपंच ना करे कपट
ईश्वर की शक्ति रहे सतत्
यह केवल एक भ्रांति है
मौत सभी को आती है।
भारती दास ✍️
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