Wednesday 31 July 2019

फूल और शूल संग रहते हैं


फूल और शूल संग रहते हैं
एक ही वृन्त पर खिलते हैं
भिन्न-भिन्न गुण होते हैं
विवश शाख सब सहते हैं.
उर में दाह कंठ में ज्वाला
दर्प का कांटा विष का प्याला
कुलिश सदा देते हैं दर्द
चुभकर तन को देते कष्ट.
अंधरों पर मुस्कान सजाती
परोपकार में जान गंवाती
धरा साक्षिणी हरपल होती
जो करते बलिदान स्वप्न की.
सौम्य सुमन मन को हर्षाता
कठोर शूल बस दंश ही देता
स्वाभाव मानव का भी है ऐसा
फूल और शूल के गुणों के जैसा.