Wednesday 14 April 2021

आई जगदम्बे मां द्वार

आई जगदम्बे मां द्वार
लाई आंचल में भर प्यार
आई जगदम्बे मां द्वार....
जय शक्ति स्वरूपिणी माता
जय जग पालिनी शुभ दाता
छाई खुशियां हर्ष अपार
आई जगदम्बे मां द्वार....
दुर्बल मन ये घबराया
दुर्गम क्षण फिर बन आया
सुखदाई कर उपकार
आई जगदम्बे मां द्वार....
भयभीत हुआ मही सारा
निर्वाह कठिन है हमारा
शुभदाई हर अंधकार
आई जगदम्बे मां द्वार....
नित दिन करते हैं अर्चन
निज भाव सुमन का अर्पण
महामाई सुन मनुहार
आई जगदम्बे मां द्वार....
भारती दास







 


Saturday 10 April 2021

लोग नहीं करते हैं चिंतन

 


लापरवाही ने सब छीना
फिर रफ्तार से बढ़ा कोरोना
जानते हैं परिणाम की सीमा
फिर भी चाहते मौत से लड़ना.
गुजरे पल ने खूब सिखाया
समझाया मुश्किल से बचाया
जीवन मूल्य का भेद बताया
फिर भी सबने वही दुहराया.
कहते सुनते थके हर बार
सांसों के रक्षक गये हैं हार
दुख-अतिथि आ पहुंचा द्वार
लेकर ढेरों दर्द उपहार.
बदहाली से करने को जंग
गली-गली फिर हुए हैं बंद
लगे छूटने अपनों के संग
दूर हुये खुशियां-आनंद.
नेताओं की चुनावी रैली
अफरा तफरी जीवन शैली
भीड़-भाड़ उन्मादों वाली
बढ़ाता रहा कोरोना खाली.
अस्पताल में कम है साधन
संकट में है प्राण व जीवन
सेवा कर्मी करते परिश्रम
लोग नहीं करते हैं चिंतन.
भारती दास


 

 

 

Tuesday 6 April 2021

अन्तर्मन भी हरपल कहता

 


      
      मूक बधिर हो या कोई व्यक्ति
      तलाश सुखों की होती सबकी
      चाहत होती हर एक मन की

हो भविष्य सदा सुंदर सी…
अनुकूल जहां होता है पोषण
अनुरुप वहां होता है बचपन
परंपरा संस्कार का दर्शन
दर्शाता परिवार का चित्रण…
अनुचित आदत रहन-सहन
दम तोड़ता प्रेम समर्पण
नहीं होता कोई अपनापन
दुर्भाग्य ढोंग का होता दर्पण…
शैशव में ही भरता विकार
पनपता रहता द्वेष अपार
टूटता-बिखरता घर संसार
मलते हाथ होते लाचार…
माता-पिता भी तब पछताते
जब महत्व पैसे को देते
बुरी आदतें घर कर जाते
स्वयं समाज से रहते अछूते…
कर्म की खेती चलता रहता
जो बोता है वही है फलता
अंतर्मन भी हर-पल कहता
बदी के बदले बदी ही मिलता…

भारती दास ✍️