Tuesday 16 April 2024

राम अनंत और कथा अनंता


गहन अनुभूति श्री रामकथा है

अतुलित उमंग की परम प्रथा है

वाल्मीकि का मानस लोक

वर्णित धर्म अर्थ और मोक्ष

महाकवि भवभूति का कहना

है राम कथा करुणा की महिमा

पाप नाश करते भगवान

कर देते हर व्यथा निदान

पद्द्माकर –मतिराम, कवि  ने

मोहक –रूप अविराम छवि ने

राम रसायन  करके पान

वो पा गए दुर्लभ स्थान

भक्ति रस का सागर है ये

गौरवमय श्रद्धा आदर है ये

तुलसीजी थे जग विख्यात

वेद निहित थी उनकी बात

दोहे चौपाई सोरठा छंद

रामायण है अद्भुत ग्रन्थ

मुसलमान थे संत रहीम

वे राम बिना थे प्राणहीन

राम आदर्श जो करे समाहित

मोक्ष प्राप्ति से रहे न वंचित

तीनों तापों से होगी मुक्ति

राम नाम है ऐसी शक्ति

भारती दास✍️

Friday 12 April 2024

मिथिला महान

 

जगत वंदनी जनक नंदिनी

सीता राम कें प्रणय जतऽ 

एहन सुन्दर पावन धाम 

जग में कहू छै और कतऽ .

छलथि विदेह तपस्वी राजा

विज्ञ अनंत परम विद्वान 

हुनकर यश जयनाद देखि कें

भेलथि अधीर इंद्र भगवान.

ध्वस्त भेल सब कालखंड में 

तैयो जीवित अछि ललित-ललाम

मौन वेदना सं भरल अछि 

परम पुनीत ओ अमृत धाम.

नष्ट-विनष्ट भेल एकता 

भेद-भाव बढ़ि गेल अनंत 

स्वजन विरोधी भऽ रहल छथि

संतप्त ह्रदय संदेह कें संग.

क्षोभयुक्त उन्माद समेटू 

चित्त में भरू कोमल अनुराग 

संस्कृति कें गौरवमय-गरिमा 

बनि रहल अछि दीन विषाद.

रहू जुड़ायेल सबकें जुड़ाऊ

जुड़िशीतल कें शुभ पैगाम 

हर्षित भय त्योहार मनाऊ 

विहुंस उठय ई मन और प्राण.          

भारती दास ✍️

Friday 22 March 2024

मैं हूं वही अधूरा सा बिहार

  मैं हूं वही अधूरा सा बिहार 

जन्म लिये हैं इस धरती पर

चंद्रगुप्त अशोक और बिम्बिसार

मैं हूं वही अधूरा सा बिहार....

धर्म क्षेत्र में ज्ञान क्षेत्र में

गीत संगीत कला क्षेत्र में

जिसकी महत्ता है उदार

मैं हूं वही अधूरा सा बिहार....

गुरु गोविंद सिंह की कहानी

सुनकर भरता आंखों में पानी

बेदर्द मुगल का अत्याचार

मैं हूं वही अधूरा सा बिहार....

गौतमबुद्ध का अद्भुत गाथा

गया का बोधिवृक्ष सुनाता

ज्ञान-तप और सम्यक विचार

मैं हूं वही अधूरा सा बिहार....

राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने भी

कर्तव्य निभाया और मान भी

नमन देश करता आभार

मैं हूं वही अधूरा सा बिहार....

रामधारी की हर इक कविता

समाज की परिवेश दिखाता

तन-मन में भरता उदगार

मैं हूं वही अधूरा सा बिहार....

नेताओं को है अपनी चिंता

सेवाओं से वंचित है जनता

 विवशतायें करती है लाचार

मैं हूं वही अधूरा सा बिहार....

भारती दास ✍️

Wednesday 6 March 2024

आशुतोष भोलेनाथ


आशुतोष भोले नाथ

उमापति हे गौरी नाथ

महान चेतना के सनाथ

सर्प भूत-प्रेत के साथ.

आदि काल से ही शिव 

कला के पर्याय शिव

विशद हैं आचार्य शिव

अर्थ और अभिप्राय शिव.

साधना के सार शिव 

गुणों के आधार शिव

मोहक श्रृंगार  शिव 

काम के संहार शिव.

जीवन में उल्लास का 

प्रेरणा व प्रकाश का 

सौन्दर्य बन प्रकट हुए 

विराट रूप विकट हुए.

चिंतन मनन भजन से

उपासना संकल्प से 

सत्य स्वरूप धर्म से 

सुखद पुण्य कर्म से.

शिवत्व को बसाना है 

जगत को बचाना है 

आत्मबोध पाना है 

शिव-शक्ति को मनाना है.

भारती दास✍️


               

Sunday 18 February 2024

वर्तमान नारी का जीवन

 


वर्तमान नारी का जीवन

क्यों इतनी व्यथित हुई है

व्याभिचारी-अपराधी बनकर

स्वार्थी जैसी चित्रित हुई है.

जब-जब भी बहकी है पथ से

वो पथभ्रष्ट दूषित हुई है

पीड़ा-दाता बनकर उसने

खुद ही जग में पीड़ित हुई है.

रूप कुरूप है उस नारी का

जब सृजन सोच से भ्रमित हुई है.

जीवन में होकर गुमराह 

सदा सदा ही व्यथित हुई है.

परिवार राष्ट की लाज मिटा कर 

भाग्य भी उसकी दुखित हुई है.

युग-युग का इतिहास ये कहती, 

नारी ही तो प्रकृति हुई है.

त्याग- तपस्या थी ऋषियों की,

गरिमामय सी सृजित हुई है.

है निवेदन उस नारी से, 

जो कभी दिग्भ्रमित हुई है.

वो अपना क्षमता दिखलाए, 

जिससे जग में पूजित हुई है.

भारती दास ✍️

Tuesday 13 February 2024

प्रेम दर्शन


संस्कृति हो या दर्शन

साहित्य हो या कला

प्रेम की गूढता अनंत है

ये समझे कोई विरला.

ये चिंतन में रहता है

ये दृष्टि में बसता है

जीवन का सौन्दर्य है ये

अनुभव में ही रमता है.

ये घनिष्ठ है ये प्रगाढ़ है

ये है इक अभिलाषा

विश्वास स्नेह का भाव है

ये है केवल आशा.

ये रिश्ता है ये मित्रता है

ये है विवेक की भाषा

शरीर आत्मा में है समाहित

ये चाहत की परिभाषा.

निर्वाध रूप से है निछावर

ये मृदु मोहक सा बंधन

कर्तव्य बोध से मिलकर ही 

ये करता संरक्षण.

ढाई -अक्षर प्रेम की गुत्थी

है अपनों का माध्यम

कवच ये बनता हर जीवन का

प्रेम है ऐसा पावन

भारती दास ✍️


Friday 19 January 2024

गुणों के धाम राघव नाम

 प्रकृति का रंग है निखरा

खुशी भी मन में है पसरा

आयेंगे राम निज आंगन 

दमकता है सभी चेहरा....

मही भी आज हर्षित है

कथा सरयू यह कहती है 

प्रतीक्षा थी ये बरसों की 

विकल पल था कहीं ठहरा....  

भक्त साधक जो हारे थे

धर्म बाधक हजारों थे

आश का सूर्य जब निकला

मिटा है क्लेश भी गहरा....

सिया रघुवर भवन आये

परम पावन चरण लाये

गुणों के धाम राघव नाम

मनोरम मंत्र है प्यारा....

भारती दास ✍️





Saturday 6 January 2024

खुश रंग सजा है नव प्रभात में

 उत्साह अनंत है गात-गात में 

खुश रंग सजा है नव प्रभात में.

मनहर सुखकर शांत प्रकृति

सौन्दर्यमयी है अरुणिम प्राची 

कुसुम सुवास है सांस-सांस में 

खुश रंग सजा है नव प्रभात में....

आंचल में ऊषा समेट लाई

स्वर्ण किरण मोहक अलसाई

मुखरित है कलरव तरू पांत में 

खुश रंग सजा है नव प्रभात में....

सुर-संस्कृति अब उदित हुई है

सुख शासन नव विदित हुई है

विभव विपुल है ग्राम प्रांत में

खुश रंग सजा है नव प्रभात में....

सत्य चिरन्तन अभिनव अनुपम

सृष्टि के कण-कण में जीवन

प्रफुल्ल हृदय है श्री राम आस में 

खुश रंग सजा है नव प्रभात में....

भारती दास ✍️


Saturday 30 December 2023

पल बहुमूल्य निकलता जाता

 पल बहुमूल्य निकलता जाता

कुछ न कुछ वह कहता जाता

 क्षीण मलीन होती अभिलाषा

अंधकार सी घिरी निराशा

विकल विवश सब सहता जाता

कुछ न कुछ वह कहता जाता....

रुपहली रातों की माया

मन उन्मादी शिथिल सी काया

मोह प्राण का बढ़ता जाता

कुछ न कुछ वह कहता जाता....

वर्षा धूप शिशिर सब आया

नियति प्रेरणा बन मुस्काया

काल निरंतर दृष्टि रखता

कुछ न कुछ वह कहता जाता.... 

राष्ट्र प्रीति से रहता सब गौण

मुखर चुनौती लेता है कौन 

अपना अंतिम भेंट दे जाता

कुछ न कुछ वह कहता जाता....

भारती दास ✍️


Thursday 14 December 2023

गतिशीलता ही जीवन है

 

धरती घूमती रहती हर-पल

सूरज-चन्द्र ना रुकते इक पल

हल-चल में ही जड़ और चेतन

उद्देश्यपूर्ण ही उनका लक्षण.

सदैव कार्यरत धरा-गगन है

गतिशीलता ही जीवन है

गति विकास है गति लक्ष्य है

गति प्रवाह है गति तथ्य है.

धक-धक जो करता है धड़कन

मन-शरीर में होता कम्पन

दौड़ते जाते हर-दम आगे

एक-दूजे को देख कर भागे.

लक्ष्य भूलकर सदा भटकते

उचित-अनुचित का भेद ना करते

पूर्णता की प्यास में आकुल

तन और मन रहता है व्याकुल.

संबंधों का ताना-बाना

बुनता रहता है अनजाना

एक ही सत्य जो सदा अटल है

हर रिश्ते नातों में प्रबल है.

जहाँ मृत्यु है वही विराम है

फिर कुछ भी ना प्रवाहमान है

पूर्ण अनंत है ईश समर्पण

जैसे विलीन हो जल में जल-कण.  

भारती दास ✍️