सौन्दर्य अभिलाषी
कौन नहीं है
चाह सुन्दर की
किसे नहीं है
सुन्दरता की भाषा
क्या है
दृष्टि की
अभिलाषा क्या है।
काया की वो
सुन्दरता है
या अंगों की
मादकता है
भावनाओं की
दुर्बलता है
या चंद्र-अंशु की
शीतलता है।
सौन्दर्य कला है
या व्यवहार
या अपेक्षित
गुणों की धार
दिव्य विचारों
में निहित है
या संस्कारों में सीमित है।
मनोविकार का
भ्रमित मार्ग है
या नजरों की
दूषित राग है
सौन्दर्य दर्शन
का अभिरूप
या मन के कोमलता का रुप।
सौन्दर्य प्रकृति
का है उपहार
तन-मन में
मीठी सी फुहार
शिव का पावन बोध
सौन्दर्य
या रचयिता का भोग
सौन्दर्य।
अपनों का है सहयोग सौन्दर्य
भावनाओं है का योग सौन्दर्य
कण-कण में सौन्दर्य भरा है
सुभग मनोरम अपनी धरा है।
भारती दास ✍️