Thursday 20 February 2020

चंद्रेश,भूतेश भुजंग ग्रीवा


 चंद्रेश,भूतेश भुजंग ग्रीवा
विषपान नहीं समाधान सदा
करता है नमन मन-प्राण शिवा
कल्याण करो हे प्रदोष प्रभा.
संहार-सृजन की युगल क्षमता
शिव'नाम है अमृत की वर्षा
हे ओम'स्वरुप प्रखर-महिमा
अपराध करो हे देव क्षमा.
हे रूद्र न रोष कर विकट प्रहर
क्यों मौन हो बैठे शैल शिखर
हर व्यथा वेदना गौरी वर
हे सती पति शुभमय शंकर.
भारती दास ✍️
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं


Friday 14 February 2020

ऋतुराज संग लाया बहार

ऋतुराज संग लाया बहार
मादक भरी बहती बयार
सुंदर मधुर कोमल सा प्यार
खोया कहां निर्मल करार.
मुरझा रहा बागों में फूल
सहमा बहुत है सुमन-समूल
कुपित व्यथित हो उड़ा है धूल
क्यों वृंत-वृंत में उगा है शूल.
शत्-शत् मधुप गूंजा करते थे
पुष्प सुगंध बिखरा करते थे
कलरव विहग किया करते थे
पुलकित प्रकृति हंसा करते थे.
मुख सरोज हर्षा करते थे
दृग युगल बहका करते थे
स्नेह मिलन की हुआ करते थे
अराध्य चरण की दुआ करते थे.
पथ खो गया वो आदर्श वंत
क्यों हो रहा कुत्सित ये मत
मन है मलीन अंतर है क्षुब्ध
शोणित प्रवाह हो रहा समस्त.
चुप शाख है तरु मौन है
संकल्प सारे गौण है
झुलसा रहा तन कौन है
क्यों बेरहम सा कौम है.
निज रोष को सारे समेट
अनुराग भरे उर में प्रत्येक
करे त्याग कटुता और क्लेश
धारण करे मृदुता का वेश
भारती दास