Saturday 26 March 2022

ज्येष्ठ सुपुत्र अपना बनाया

 


कहते हैं कि समुद्र मंथन से

निकला घड़ा जो भरा था विष से

शिव के कालकूट पीने पर

गिरी थी कुछ बूंदें धरती पर

जहर मिली मिट्टी को मथकर

नर नारी को बनाया ईश्वर

अपना ज्येष्ठ सुपुत्र बनाया

पुष्प के जैसा उन्हें सजाया

विश्व चमन को विकसित करने

कर्तव्य सत्कर्म समर्पित करने

उत्कृष्ट मन श्रेष्ठ भाव दिया

उपहार में उनको सद्भाव दिया

परिस्थितियां हो कितने कठिन

नहीं करते कभी मुख मलिन

पलक झपकते ढल जाते हैं

अनुरुप समय को कर लेते हैं

परंतु विष जब होता हावी

तब ईर्ष्या हो जाता प्रभावी

प्रलयकारी दृष्टि बन जाती

विनाशकारी सृष्टि कर जाती

जग क्रंदन करता ही रहता

घात-प्रतिघात चलता ही रहता

ईर्ष्या रुपी गरल समाया

मानव के मन को भरमाया.

भारती दास ✍️


Monday 21 March 2022

हे श्रेष्ठ युग सम्राट सृजन के

 हे श्रेष्ठ युग सम्राट सृजन के

नमन अनेकों विराट कलम के....

लेखों के सुन्दर मधुवन में

सीखों के अनुपम उपवन में

मधुर विवेचन संचित बन के

नमन अनेकों विराट कलम के....

लोभ-दंभ की जहाँ है काई

ह्रदय में सबकी घृणा समाई

लिखे हजारों ग्रन्थ शुभम के

नमन अनेकों विराट कलम के....

तुलसी-सूर चाणक्य की महता

जिसने लिखा मन की मानवता

सत्य ही शिव है गहन लेखन के

नमन अनेकों विराट कलम के....

संवेदन बन जाये जन-जन

महके मुस्काए वो क्षण-क्षण

तंतु बिखर जाते बंधन के

नमन अनेकों विराट कलम के....

जाने कितने छंद सृजन के

कह देती है द्वन्द कथन के

नैन छलक पड़ते चिन्तन के

नमन अनेकों विराट कलम के....

भारती दास ✍️


Friday 11 March 2022

अस्वस्थ तन गमगीन पल

 अस्वस्थ तन गमगीन पल

करती बेचैन हरपल ये मन

अंतस में भर आता है तम

उदास बहुत होता चिंतन.

मजबूरियों के घेरती है फंद

गतिशीलता पड़ जाती है मंद

निशि-वासर रहता है द्वंद

जीवन कहीं न हो जाये बंद

जब होती है कोई बीमारी

महसूस सदा होती लाचारी

चरणों में झुकाहै शीश हमारी

अतिशय करती हूं ईश आभारी.

भारती दास ✍️