बरस रहा है मेघ निरंतर
अनवरत आवेग से भरकर
प्रचंड कोई अभियान सी लेकरनिर्बल जीवन प्राण को हरकर.जल प्लावन से जान सिसकतेप्रलय सिंधु अरमान निगलतेसघन गगन प्रतिदिन बरसतेसुख वैभव की बस्ती डूबते.आतप वेदना दृश्य डरावनावीभत्स भयानक भू का कोनाबहती है कातर सी नयनाकहर बाढ़ का छीना हंसना.मनुज आसरा बह रहा हैनिर्वाह सहज ही ढह रहा हैसर्वत्र ये पीड़ा कह रहा हैकर्त्तव्य किसका कम रहा है.कर्म साधना हो गई है क्षीणसामर्थ्य हीन साधन विहीनदिन मुश्किल के रातें मलीनदूर कब होगा गम ये असीम.भारती दास ✍️
Monday 31 August 2020
बरस रहा है मेघ निरंतर
Thursday 20 August 2020
सतीनाम स्तुति
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सतीनाम स्तुति
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Tuesday 4 August 2020
मुग्ध खड़े भगवान
साकेत नगर में द्वार-द्वार पर
मुग्ध खड़े भगवान
हर्षित मुदित वीर हनुमान....
राजा दशरथ थे बड़भागी
माता कौशल्या के पुण्य जागी
जन्म लिये रघुवर हरने को
दुख धरती के तमाम
हर्षित मुदित वीर हनुमान....
स्वप्न मनोहर पूर्ण हो आया
रामनिकेत क्षण क्षण मुस्काया
आनंद मोद है मगन लोग है
मन विभोर अभिराम
हर्षित मुदित वीर हनुमान....
शंखध्वनि का स्वर गूंजित है
राम राम मुख से वर्णित है
रूप मोहिनी पाप मोचनी
हंसी अधर पे ललाम
हर्षित मुदित वीर हनुमान....
जय-जयकार करे रघुराई
चरण कमल में शीश नवाई
भक्त संत मुनि के आराधक
हे निर्बल के राम
हर्षित मुदित वीर हनुमान....
भारती दास ✍️
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