Saturday 24 June 2023

अनुकरणीय ये ग्रंथ है

 तुलसी के रामायण की

महिमा है कुछ खास 

अनुकरणीय ये ग्रंथ है

विद्वजन कहते  उल्लास.

रघुकुल भूषण रामजी 

थे आज्ञाकारी पुत्र

तरुण तपस्वी बने सदा 

पूर्ण किये कर्म सूत्र.

सर्वप्रथम वे मित्र जो

नहीं रखते हैं द्वेष

आपत्ति के काल में

हरते मन के क्लेश.

द्वितीय माता जानकी

थी पत्नी आदर्श

श्रीराम जी के साथ में

वन में सही थी कर्ष.

तृतीय सौमित्र पुत्र वे

तत्क्षण हुए अधीर

सेवक बनकर चल पड़े

संग सिया-रघुवीर.

चतुर्थ कैकेयी सुत महान

छोड़ कर सिंहासन राज

चरण पादुका अराध्य के

किये मानकर काज.

पंचम अंजनी लाल बिना

विकल हुए भगवान

द्रोणागिरि ऊठा लाये

बलशाली हनुमान.

षष्ठम गुरु के चरण में

रख देते जो शीश

समस्त वैभव संपदा

उन्हें देते हैं जगदीश.

सप्तम भक्त की आस्था

शबरी मां का स्नेह

जूठे बेर खाकर प्रभु

हर्षाये अति नेह.

संबंधों को प्रेरणा

देता है ये ग्रंथ

है जीवन की संजीवनी

हर दोहा हर छंद.

भारती दास ✍️


Sunday 18 June 2023

रथ पर आये श्याम सलोने

 

उष्ण-तरल का सुखद मिलन है

शांत हुई बूंदों से तपन है 

आकाश में बादल छाये हैं

धरती की प्यास बुझाये हैं

समस्त सृष्टि के पालनकर्ता 

अर्जुन के प्यारे प्राण सखा

अधर्म का अंत करने के हेतु 

धर्म की आस्था जगाने हेतु 

सारथि बनकर रथ हांके थे

भूमि का क्षोभ संताप देखे थे 

नज़रें जहां भी जाती छल था

विविध क्लेश को सहता मन था

अधरों पर स्मित था निश्छल

थे बलिदानी वे त्याग के संबल 

दीन जनों के बने सहारे 

कठिन क्षणों में उन्हें उबारे

पीताम्बर धारी भगवान

लाये भक्ति का पैगाम  

भक्तों में उत्साह जगाने

रथ पर आये श्याम सलोने.  

भारती दास ✍️

Saturday 10 June 2023

धरती गगन के मौन गूंज को

 धरती गगन के मौन गूंज को

चाहिए केवल प्रखर विचार

ओज तेज भर पाये उर में

चाहिए ऐसे प्रवीर अवतार.

एक विकृत-विकार था रावण

जिसने मर्यादा को ध्वस्त किया था

उत्पात मचाकर अधर्म बढ़ाकर

ऋषि मुनि को नष्ट किया था.

बरसों से था कुंठित दानव

पशुता जैसा ही था संस्कार

स्वार्थी कपटी था अंतर से

मन से दरिद्र भी था अपार.

नित्य कुकृत्य करता रहता था

नित्य बहाता रक्त की धार

अस्थि नोच खाता चंडाल

सुनता नहीं भीषण चीत्कार.

कहीं सुरक्षित नहीं है पुत्री

अपनी जानें गंवा रही है

झूठे प्रेम के जाल में फंसकर 

ख्वाब अनेकों मिटा रही है.

अध्यात्म क्रांति के द्वारा ही

परिवेश सशक्त बनाना होगा

अत्याचारी दूषित स्वरूप को

सर्वधर्म प्रीत निभाना होगा.

भारती दास ✍️