Sunday 6 November 2022

ब्रह्म बीज होती है विद्या

 ब्रह्म बीज होती है विद्या

जो स्वयं को ही बोधित करती है

अंतस की सुंदर जमीन पर

ज्ञान तरू बनकर फलती है.

हर कोई शिक्षा पाता है

कौशल निपुण बन जाता है

सिर ऊंचा करता समाज में

उत्थान में होड़ लगाता है.

लेकिन विद्या व्यवहार सिखाती

दंभ हरण कर देती है

मानस से तृष्णा हटाकर 

भाव करुण भर देती है.

शिक्षा रोजी रोटी देती

जिम्मेदारी का धर्म निभाती

सत्कर्मों को जोड़ती खुद से

विद्या हृदय को विकसित करती.

सर्वोत्तम है मानव जीवन

जो विद्या का मर्म सिखाते हैं 

शिक्षित हो मानव विद्या से

ज्ञान यही तो  कहते हैं.

 भारती दास ✍️

18 comments:

  1. विद्या का महत्व बतलाती बहुत सुंदर रचना, भारती दी।

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    1. धन्यवाद ज्योति जी

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  2. सुंदर सृजन

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    1. धन्यवाद अनीता जी

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  3. उत्कृष्ट कृति।

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    1. धन्यवाद अमृता जी

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  4. असाधारण सृजन । अभिनंदन आदरणीया ।

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  5. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (8-11-22} को "कार्तिक पूर्णिमा-मेला बहुत विशाल" (चर्चा अंक-4606) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा

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    1. धन्यवाद कामिनी जी

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  6. सर्वोत्तम है मानव जीवन
    जो विद्या का मर्म सिखाते हैं

    -सत्य कथन
    सुन्दर रचना

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद

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  7. वाह!भावपूर्ण रचना

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  8. बहुत ही सुन्दर रचना

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  9. बहुत बहुत धन्यवाद

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  10. बहुत खूबसूरत रचना ।

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  11. बहुत बहुत धन्यवाद

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