Sunday, 23 October 2022

जल गई दीपों की अवली

 जल गई दीपों की अवली

सज गई है द्वार और देहली

शक्ति का संचार कर गई

दीपमालिका मंगल कर गई

उर मधुर स्पर्श कर गई

निविड़ निशा में उमंग भर गई.

आभा धरा की दमक रही

सुख मोद से यूं चमक रही

हृदय-हृदय से पुलक रही

स्मित अधर पर खनक रही.

दिवस-श्रम का भार उठाये

दृग-दृग में अनुराग सजाये

दुर्गुण जलकर सद्गुण आयें

रमा-नारायण घर-घर आयें.

भारती दास ✍️

दीप-पर्व की अनंत शुभकामनाएं


12 comments:

  1. क्या बात है प्रिय भारती जी।दीवाली की रात की बात हीं कुछ और है।सुन्दर रचना के लिए बधाई और आभार आपका।

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद रेणु जी
    दीवाली मंगलमय हो

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  3. सुन्दर रचना । दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ l

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद
      आपको भी ढेरों शुभकामनाएं

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  4. दीपावली का प्रकाश इसी तरह हर अंतर को प्रकाशित करे

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी
      आपको भी ढेरों शुभकामनाएं

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  5. सुंदर सृजन

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद
      आपको भी ढेरों शुभकामनाएं

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  6. बहुत अच्छी लगी कविता । शुभ दीपावली ।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद
      आपको भी ढेरों शुभकामनाएं

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  7. अति सुन्दर भाव। हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  8. बहुत बहुत धन्यवाद अमृता जी
    आपको भी ढेरों शुभकामनाएं

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