मिट्टी का हर एक कण
पानी का सारा जलकण
वायु का लहर प्रत्येक
अग्नि का चिंगारी समेत।
आकाश भी शामिल हुये
मिलकर वे प्रार्थना किये
प्रभु से बोले वे सब साथ
हम पाँच तत्व हैं बेहद खास।
सविता देव के जैसे हम में
भर दें तेज वैसे ही सब में
प्रकाशमय और ऐश्वर्यमय
भास्कर सा तेजस्वमय।
ईश का स्वर दिया सुनाई
माँगने में है नहीं भलाई
सूर्य अपने तन को जलाते
प्राणी मात्र की सेवा करते।
तेरे पास है जो उत्सर्ग कर
कुछ देने का साहस तो कर
दर्द दूसरे का महसूस कर
फिर रवि सा हो जा प्रखर।
भारती दास ✍️
सुंदर सृजन
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी
Deleteबहुत ही सुंदर
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद प्रिया जी
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