Friday 12 May 2023

माँ

 


एहसास मुझको है अनेकों 

है अनगिनत अनुभूतियाँ

है अनोखी  पुलक भरी

 ह्रदय  में  स्मृतियाँ.

स्नेहिल स्मरण से भरे हैं

ये मेरे मन और प्राण

माँ तुम्ही से है भरे

उर में सपनों की जहान.

यादों के घन सघन बन

उमड़ पड़ते हैं पलक पर

बरस पड़ते हैं वहीं से

नयन ये दोनों मचल-कर.

जीवन विकल होती अगर

तो याद होती है दवा

तुम्हारे स्नेह का आँचल 

हमें देती है शक्ति सदा.

हर चोट में हर क्षोभ में 

केवल तुम्ही हो पास माँ 

लगता हमें हर दर्द की

हरपल तुम्ही हो आस माँ.

छोटी बड़ी गलती हुई हो

या कोई अपराध सा

तुमने किया हरदम क्षमा

देकर नयी कुछ सीख सा.

आज मै भी माँ बनी हूँ

तेरे गम को जानती हूँ

तेरी पीड़ा को समझ कर

सर झुकाना चाहती हूँ.

भारती दास ✍️

10 comments:

  1. संवेदना का सरगम। नमन मां!🙏🌹🙏

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर 🙏🏼🙏🏼

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    2. बहुत सुन्दर कहा आपने. अभिनन्दन.

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    3. बहुत बहुत धन्यवाद

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  2. माँ का वन्दन
    सुन्दर भावाभिव्यक्ति

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    1. आपको बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🏼🙏🏼

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  3. बहुत भावपूर्ण।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद

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  4. मां को नमन 🙏
    बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना।

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  5. बहुत बहुत धन्यवाद

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