Thursday 30 June 2022

वो भगवान के रूप हैं केवल

 आभार व्यक्त करते हैं उनको

जिनके सेवा से मिलता जीवन

रात-दिन और आठों पहर

जो करते हैं कठिन परिश्रम.

स्पंदन भरने को उर में

निज अस्तित्व को भूल जाते हैं

धर्म है जिनका सांसे बचाना

यमराज के आगे अड़ जाते हैं.

वो भगवान के रूप हैं केवल

भाग्य नहीं बदल सकते हैं 

कभी कभी ईश्वर की मर्जी

उन्हें विफल करते रहते हैं. 

मेहनत की उनकी कद्र न करते

लोग उन्हें पहुंचाते ठेस

भावनाओं को आहत करते

भरते उर में पीड़ा व क्लेश.

शालीनता ये दर्शाती है

चिकित्सक भी होते इंसान

संवेदनशील वो रहते हरदम

कर्तव्यनिष्ठ होते सुबहो शाम.

भारती दास ✍️






12 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार 01 जुलाई 2022 को 'भँवर में थे फँसे जब वो, हमीं ने तो निकाला था' (चर्चा अंक 4477) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर

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  2. बहुत सुंदर सृजन।
    सादर

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    1. धन्यवाद अनीता जी

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  3. धर्म है जिनका सांसे बचाना

    यमराज के आगे अड़ जाते हैं.

    वो भगवान के रूप हैं केवल

    भाग्य नहीं बदल सकते हैं

    चिकित्सक वाकई भगवान का रूप हैं कुछ एक अपवादों को छोड़कर बाकी तो वाकई उनकी संवेदनशीलता एवं अथक परिश्रम को नमन।
    बहुत सुन्दर सृजन ।

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    1. धन्यवाद सुधा जी

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  4. डॉक्टर दिवस पर सुंदर रचना

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    1. धन्यवाद अनीता जी

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  5. सचमुच जीवन को स्वस्थ रखने में सहायक चिकित्सकों को हृदय से नमन।
    सुंदर अभिव्यक्ति।
    सादर।

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  6. धन्यवाद श्वेता जी

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  7. सराहनीय सृजन।

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  8. धन्यवाद सर

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