Friday 2 October 2020

गांधी शिक्षण जरुर हो

 

यह वर्ष है विक्षोभ का
दर्द क्लेश क्षोभ का
सद्भावना शून्य है
संवेदना नगण्य है
वेदना अपार है
तड़प हाहाकार है
मानवता दरकिनार है
सुरक्षा लाचार है
बिगड़ती हालात है
दुष्कर्म बढता घात है
विवशता मोहताज है
आशंकित समाज है
शास्त्री जी के देश में
है कमी कहां परिवेश में
गांधी जी के वेश में
है जीवन ही संदेश में
लक्ष्य सदैव भरपूर हो
अनगढ आदत दूर हो
अंतर्मन ना मजबूर हो
गांधी शिक्षण जरुर हो.
गांधी शास्त्री जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं
भारती दास


 

4 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना ।

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  2. अति सुन्दर सृजन ।

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  3. शास्त्री जी के देश में
    है कमी कहां परिवेश में
    गांधी जी के वेश में
    है जीवन ही संदेश में
    लक्ष्य सदैव भरपूर हो
    अनगढ आदत दूर हो..
    बहुत सुन्दर भावों से सुसज्जित अत्यंत सुन्दर रचना ।

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