Friday 28 March 2014

सौन्दर्य



सौन्दर्य अभिलाषी कौन नहीं है
चाह सुन्दर की किसे नहीं है
सुन्दरता की भाषा क्या है
दृष्टि की अभिलाषा क्या है
काया की वो सुन्दरता है
या अंगों की मादकता है
भावनाओं की दुर्बलता है
या चंद्र-अंशु की शीतलता है
सौन्दर्य कला है या व्यवहार
या उपेक्षित गुणों की धार
दिव्य विचारों में निहित है
या कवियों के शब्द सीमित है
मनोविकार का भ्रमित मार्ग है
या नजरों की दूषित राग है
सौन्दर्य दर्शन का है अभिरूप
या मन इंद्रियों के वशीभूत
सौन्दर्य प्रकृति का है उपहार
या तन-मन में मीठी सी फुहार
शिव का पावन बोध सौन्दर्य
या रचयिता की भोग सौन्दर्य
अपनों का सहयोग सौन्दर्य
या प्रकृति का सौभाग्य सौन्दर्य
कण-कण  में सौन्दर्य भरा है
रत्न विभूषित अपनी धरा है .

No comments:

Post a Comment