आशुतोष भोले नाथ
उमापति हे गौरी नाथ
महान चेतना के सनाथ
सर्प भूत-प्रेत के साथ.
आदि काल से ही शिव
कला के पर्याय शिव
विशद हैं आचार्य शिव
अर्थ और अभिप्राय शिव.
साधना के सार शिव
गुणों के आधार शिव
मोहक श्रृंगार शिव
काम के संहार शिव.
जीवन में उल्लास का
प्रेरणा व प्रकाश का
सौन्दर्य बन प्रकट हुए
विराट रूप विकट हुए.
चिंतन मनन भजन से
उपासना संकल्प से
सत्य स्वरूप धर्म से
सुखद पुण्य कर्म से.
शिवत्व को बसाना है
जगत को बचाना है
आत्मबोध पाना है
शिव-शक्ति को मनाना है.
भारती दास✍️