Friday, 12 April 2024

मिथिला महान

 

जगत वंदनी जनक नंदिनी

सीता राम कें प्रणय जतऽ 

एहन सुन्दर पावन धाम 

जग में कहू छै और कतऽ .

छलथि विदेह तपस्वी राजा

विज्ञ अनंत परम विद्वान 

हुनकर यश जयनाद देखि कें

भेलथि अधीर इंद्र भगवान.

ध्वस्त भेल सब कालखंड में 

तैयो जीवित अछि ललित-ललाम

मौन वेदना सं भरल अछि 

परम पुनीत ओ अमृत धाम.

नष्ट-विनष्ट भेल एकता 

भेद-भाव बढ़ि गेल अनंत 

स्वजन विरोधी भऽ रहल छथि

संतप्त ह्रदय संदेह कें संग.

क्षोभयुक्त उन्माद समेटू 

चित्त में भरू कोमल अनुराग 

संस्कृति कें गौरवमय-गरिमा 

बनि रहल अछि दीन विषाद.

रहू जुड़ायेल सबकें जुड़ाऊ

जुड़िशीतल कें शुभ पैगाम 

हर्षित भय त्योहार मनाऊ 

विहुंस उठय ई मन और प्राण.          

भारती दास ✍️

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