Friday, 19 January 2024

गुणों के धाम राघव नाम

 प्रकृति का रंग है निखरा

खुशी भी मन में है पसरा

आयेंगे राम निज आंगन 

दमकता है सभी चेहरा....

मही भी आज हर्षित है

कथा सरयू यह कहती है 

प्रतीक्षा थी ये बरसों की 

विकल पल था कहीं ठहरा....  

भक्त साधक जो हारे थे

धर्म बाधक हजारों थे

आश का सूर्य जब निकला

मिटा है क्लेश भी गहरा....

सिया रघुवर भवन आये

परम पावन चरण लाये

गुणों के धाम राघव नाम

मनोरम मंत्र है प्यारा....

भारती दास ✍️





8 comments:

  1. जय श्री राम बेहद खूबसूरत और मनभावन रचना आदरणीया

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    1. धन्यवाद अभिलाषा जी

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  2. बहुत ही सुन्दर मनभावन सृजन
    वाह!!!

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  3. जय श्री राम

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    1. धन्यवाद अनीता जी

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