Wednesday, 6 March 2024

आशुतोष भोलेनाथ


आशुतोष भोले नाथ

उमापति हे गौरी नाथ

महान चेतना के सनाथ

सर्प भूत-प्रेत के साथ.

आदि काल से ही शिव 

कला के पर्याय शिव

विशद हैं आचार्य शिव

अर्थ और अभिप्राय शिव.

साधना के सार शिव 

गुणों के आधार शिव

मोहक श्रृंगार  शिव 

काम के संहार शिव.

जीवन में उल्लास का 

प्रेरणा व प्रकाश का 

सौन्दर्य बन प्रकट हुए 

विराट रूप विकट हुए.

चिंतन मनन भजन से

उपासना संकल्प से 

सत्य स्वरूप धर्म से 

सुखद पुण्य कर्म से.

शिवत्व को बसाना है 

जगत को बचाना है 

आत्मबोध पाना है 

शिव-शक्ति को मनाना है.

भारती दास✍️


               

4 comments:

  1. सुंदर सृजन, ॐ नम: शिवाय

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    1. धन्यवाद अनीता जी
      आपको भी महाशिव-रात्रि की अनंत शुभकामनाएं

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  2. बहुत ही सुंदर भावपूर्ण सृजन

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