मुझे गर्व है मैं हूँ बिहारी
माँ ब्राह्मी की मैं हूँ पुजारी ....
जिस मिट्टी में पली बढ़ी थी
सेवा-त्याग-अनुराग भरी थी
थी रामप्रिया वो सियादुलारी
मुझे गर्व है मैं हूँ बिहारी....
मैथिल कोकिल थे विद्यापति
थे किये असाध्य शंकर की भक्ति
बने थे सेवक उनकी पुरारी
मुझे गर्व है मैं हूँ बिहारी....
ओजस्वी कवि दिनकर जी थे
विद्रोही क्रांति के स्वर थे
राष्ट्रप्रेम थी उनकी प्यारी
मुझे गर्व है मैं हूँ बिहारी....
वीर कुँवर सिंह थे स्वाभिमानी
जख्मी भुजा काटे थे अपनी
देशभक्ति उनकी थी न्यारी
मुझे गर्व है मैं हूँ बिहारी....
बातों में आ जाती हूँ मैं
धोखा भी खा जाती हूँ मैं
मीठे वचन पर जाती हूँ मारी
मुझे गर्व है मैं हूँ बिहारी....
भारती दास ✍️
सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद प्रिया जी
Deleteसुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteबिहारी शब्द बुद्ध के विहार से आया है, सभी बिहारी बुद्ध के वंशज हो ही गए, यानी ज्ञान के उपासक
ReplyDeleteधन्यवाद अनीता जी
ReplyDeleteआपकी लाइने पढ़कर सच में बहुत अच्छा लगा, दोस्त। आपने बिहारी होने का जो गर्व दिखाया है ना, वो दिल छू जाता है। जिस तरह आपने विद्यापति, दिनकर जी, वीर कुंवर सिंह जैसे महान लोगों को याद किया है, उससे लगा जैसे पूरा बिहार सामने खड़ा हो।
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