Thursday, 14 August 2025

भारत माँ के चरणों में

 

लंबे संघर्ष और असंख्य बलिदान

अनगिनत यातना और घोर अपमान 

मन पीड़ित और मूर्छित था प्राण 

था वीभत्स रूप में देश की आन ।

सुंदर सपना आजाद हुआ 

कर्म कुसुम भी आबाद हुआ 

उमंग-तरंग बल तंत्र हुआ 

देश ये प्यारा  स्वतंत्र हुआ ।

स्वर्ण प्रभात का धूप मिला 

अरमानों को नव रुप मिला 

साज़ आवाज अंदाज मिला 

कंधों से कंधों का साथ मिला ।

भारत माँ के चरणों में 

हरदम शीश झुकाएँगे है

आजादी है सबको प्यारी 

उत्सव खूब मनाएँगे ।

भारती दास ✍️

9 comments:

  1. आपको भी स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ

    ReplyDelete
  2. स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद अनीता जी
      स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ

      Delete
  3. Swatantrata diwas ki shubhkamnayein!

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद
      स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ

      Delete
  4. इस कविता में आज़ादी का पूरा संघर्ष और उसकी कीमत साफ झलकती है। सोचो, कितने बलिदान और अपमान सहकर हमारे पूर्वजों ने ये आज़ादी दिलाई। सबसे अच्छा हिस्सा लगा जहाँ कंधों से कंधे मिलाने की बात आई है, क्योंकि असली ताकत तो एकजुट होकर खड़े होने में है।

    ReplyDelete
  5. बहुत बहुत धन्यवाद
    स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ

    ReplyDelete