लंबे संघर्ष और असंख्य बलिदान
अनगिनत यातना और घोर अपमान
मन पीड़ित और मूर्छित था प्राण
था वीभत्स रूप में देश की आन ।
सुंदर सपना आजाद हुआ
कर्म कुसुम भी आबाद हुआ
उमंग-तरंग बल तंत्र हुआ
देश ये प्यारा स्वतंत्र हुआ ।
स्वर्ण प्रभात का धूप मिला
अरमानों को नव रुप मिला
साज़ आवाज अंदाज मिला
कंधों से कंधों का साथ मिला ।
भारत माँ के चरणों में
हरदम शीश झुकाएँगे
आजादी है सबको प्यारी
उत्सव खूब मनाएँगे ।
भारती दास ✍️
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