Tuesday, 24 December 2024

जो धरा धाम से चले गये


जो धरा धाम से चले गये

वो सियाराम के हो ही गये....

हम जिनकी याद में रोते रहे 

वो प्रभु की गोद में सोते रहे 

कोई अमर नहीं दिन रात हुये

वो सूदूर क्षितिज में खो ही गये

जो धरा धाम से चले गये....

प्रहर दिवस कितने बीते 

वो देखें नहीं पीछे मुड़ के 

नेत्रों से झरझर नीर बहे

हतभाग्य बने असहाय रहे

जो धरा धाम से चले गये....

काल जाल बुनता है अपना

छीन के सारा सुख का सपना 

न आनंद रहा न विनोद रहा 

विक्षोभ अनंत अथाह रहा

हम सबने दर्द अनेक सहे

जो धरा धाम से चले गये....

भारती दास ✍️ 


भाई जी की
ग्यारहवीं बरसी पर अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि 🙏🙏

4 comments:

  1. Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर

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  2. भावपूर्ण सरस रचना

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  3. बहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी

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