Wednesday, 31 July 2024

सजल मेघ सावन के कारे


सजल मेघ सावन के कारे

झरझर बहता अम्बु द्वारे

पुलकित विह्वल वर्षा के स्वर

ऋतु रानी को पास पुकारे।

यह धरती यह नीला अंबर

प्राणवान है तुमसे ईश्वर 

तुम अपना आवास बनाते 

दीन-दुखी प्राणी के अंदर।

जिनका जग में कोई न सहचर 

तुम उसके रखवाले शंकर 

'ओम' शब्द की ध्वनि निरंतर 

गूंज उठा है जागो दिगंबर।

दिन जीवन का ढलने आया 

सांध्य दीप जलने को आया 

सब सर्वस्व समर्पित करके 

शरण में आने का क्षण आया।

भारती दास ✍️

7 comments:

  1. Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद

      Delete
  2. बहुत ही सुन्दर सार्थक और भावप्रवण रचना आदरणीया

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद

      Delete
  3. ईश्वर की शरण में एक दिन सबको जाना ही पड़ता है, इसे जितनी जल्दी समझ जाय उतना जीवन सुखद बने,,,

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद

      Delete
  4. बहुत बहुत धन्यवाद

    ReplyDelete