Monday, 21 March 2022

हे श्रेष्ठ युग सम्राट सृजन के

 हे श्रेष्ठ युग सम्राट सृजन के

नमन अनेकों विराट कलम के....

लेखों के सुन्दर मधुवन में

सीखों के अनुपम उपवन में

मधुर विवेचन संचित बन के

नमन अनेकों विराट कलम के....

लोभ-दंभ की जहाँ है काई

ह्रदय में सबकी घृणा समाई

लिखे हजारों ग्रन्थ शुभम के

नमन अनेकों विराट कलम के....

तुलसी-सूर चाणक्य की महता

जिसने लिखा मन की मानवता

सत्य ही शिव है गहन लेखन के

नमन अनेकों विराट कलम के....

संवेदन बन जाये जन-जन

महके मुस्काए वो क्षण-क्षण

तंतु बिखर जाते बंधन के

नमन अनेकों विराट कलम के....

जाने कितने छंद सृजन के

कह देती है द्वन्द कथन के

नैन छलक पड़ते चिन्तन के

नमन अनेकों विराट कलम के....

भारती दास ✍️


16 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (23-03-2022) को चर्चा मंच     "कवि कुछ ऐसा करिये गान"  (चर्चा-अंक 4378)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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  2. धन्यवाद सर

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  3. बहुत सुंदर सृजन, भारती दी।

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    1. धन्यवाद ज्योति जी

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  4. लेखों के सुन्दर मधुवन में

    सीखों के अनुपम उपवन में

    मधुर विवेचन संचित बन के

    नमन अनेकों विराट कलम के....
    वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर सृजन।

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    1. धन्यवाद सुधा जी

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  5. बेहतर सृजन।
    सादर

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    1. धन्यवाद अनीता जी

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  6. धन्यवाद नूपुरं जी

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  7. जाने कितने छंद सृजन के

    कह देती है द्वन्द कथन के

    नैन छलक पड़ते चिन्तन के

    नमन अनेकों विराट कलम के....
    सुन्दर रचना

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  8. धन्यवाद उषा किरण जी

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  9. नमन भारती! विराट कलम के!!!

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  10. धन्यवाद सर

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