Saturday, 19 February 2022

ऋतुपति के घर में

 ऋतुपति के घर में

पुष्प की अधर में

कोयल की स्वर में

प्रणय की पुकार है.

उषा की अरूणिमा

सौन्दर्य की प्रतिमा

अनुराग की लालिमा

जीवन की उदगार है.

वसुधा अभिराम है

पीत परिधान है

सलज सी मुस्कान है

हर्ष की खुमार है.

अनंत ही रमणीय

दिग-दिगंत है प्रिय

छवि नवल सी हिय

उमंग की बहार है.

नीड़ में युगल विहग

नेह से बैठे सहज

निहारते नयन पुलक

मृदुल सी मनुहार है.

भारती दास ✍️



12 comments:

  1. बहुत ही सुंदर सरस सृजन।
    ऋतुपति के घर में

    पुष्प की अधर में

    कोयल की स्वर में

    प्रणय की पुकार है.

    उषा की अरूणिमा

    सौन्दर्य की प्रतिमा

    अनुराग की लालिमा

    जीवन की उदगार है... वाह!
    सादर

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    1. धन्यवाद अनीता जी

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  2. नीड़ में युगल विहग

    नेह से बैठे सहज

    निहारते नयन पुलक

    मृदुल सी मनुहार है.

    वाह अनुपम! मन को विभोर करता सृजन।
    सस्नेह

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    1. धन्यवाद कुसुम जी

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  3. उषा की अरूणिमा

    सौन्दर्य की प्रतिमा

    अनुराग की लालिमा

    जीवन की उदगार है.
    वाह!!!
    बहुत ही लाजवाब मनभावन सृजन।

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  4. बहुत सुंदर रचना
    बधाई

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  5. आग्रह है मेरे ब्लॉग को भी फॉलो करें
    आभार

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  6. प्रकृति के रँगों को समेटे हुवे भाव ...

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