Sunday, 13 February 2022

ऋषि कश्यप की तपोभूमि वो

 

ऋषि कश्यप की तपोभूमि वो 

सूफी मीर की साधना धाम 

हिमालय की मुकुट सी शोभा 

मुख सौन्दर्यमयी ललाम .

लेकिन दर्द की गहरी रेखा 

भय विषाद में जीवन होता

प्रताड़ना निरंतर है जारी 

रक्त सदा ही बहता रहता.

घन अवसाद का भारी है

अपनों को खोता परिवार 

मिट जाये ये शाप व्यथा का

बरसे ना यूं अश्क बेजार.

सलज शेफाली खिले जो हंसकर

पुलक-पुलक कर गाये उर 

मुस्काये बासंती रजनी 

मधुमास सुखद भर आये घर.

निखर उठे सौंदर्य सलोना  

मस्त सुहाना दिन फिर आये

अब ना हो कोई पुलवामा

मुग्ध मधुर कश्मीर हो जाये.

भारती दास ✍️

10 comments:

  1. सहमे सतीसर की त्रासदी का सजीव चित्रण।

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  2. सुंदर प्रार्थना

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    1. धन्यवाद अनीता जी

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  3. बहुत सुंदर रचना,

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    1. धन्यवाद मधुलिका जी

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  4. आमीन ...
    प्रार्थना सी रचना ... काश्मीर के साथ साथ पूरा भारत महके ...

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  5. आशा और विश्वास जगाती प्रेरक रचना ।

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  6. धन्यवाद जिज्ञासा जी

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