पूर्ण-चन्द्र की
शीतलता सी
खिले-पुष्प की
कोमलता सी
मृदुल-स्नेह की
विह्वलता सी
ईश की अनुपम
सुन्दरता सी.
दायित्व निभाती हर
पल सारे
बहाती ममता साँझ-सकारे
निर्बाध रूप सरिता
सी बहकर
विघ्न अनेकों सहती
अक्सर.
मूढ़-असभ्य-अशिक्षित-निर्धन
शिष्ट-शालीन या स्व-अवलंबन
नयन में अश्रु कंठ
में क्रन्दन
सुध-बुध खोती मोह
में तत्क्षण.
अबोधवश या अभाव के
वश
हुई भूल जो कोई बरबस
माँ की महत्ता समझ
में आये
अवसान दिवस का हो ना
जाये.
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