Friday, 11 September 2015

भारत की संस्कृति महान



नद-नदियों की धारा जैसी
सबको समाहित करती वैसी
जो भी आया उसे बसाया
आत्मसात सबको कर पाया
विशिष्ट रही जिसकी पहचान
भारत की संस्कृति महान.
शक-हूण यूनान-कुषाण
थामकर हाथ चला इस्लाम
रहीम की भक्ति कबीर के दोहे
मीरा-सूर-तुलसी मन मोहे
धर्मों ने पाया सम्मान
श्रेष्ठ सदा है हिंदुस्तान .
अध्यात्म रहा भारत की आत्मा
परोपकार की धर्म भावना
विपन्न विषम की हो खात्मा
राष्ट्र हित की हो तमन्ना
अवरोधों का करके निदान
हिन्दी बने इस देश की शान.
जिस वेदों पर नाज है पायी
वो युगीन आवाज है आयी
तप व धर्म क्यों हुयी परायी
जिस संस्कृति की देते हैं दुहायी
उसी परम्परा का हो रहा अवसान
जिस पर गर्व है और अभिमान.             



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