उर से उर की तार मिले
दुख-सुख में सौ बार मिले
दोस्त वही जो ढाल बने
दुश्मन के लिए तलवार बने.
ना धर्म लड़े ना कर्म लड़े
दिन-रात हो जिससे मन ये जुड़े
हो पावस ग्रीष्म हेमंत ऋतु
लेकर हाथ हो साथ खड़े.
जब चित्त हो विकल अधीर बड़े
जो कहे कि हम हैं पास तेरे
दशा कोई हो इस जीवन का
संग में हर अवसाद हरे.
भारती दास ✍️
दोस्त को बहुत ही सुंदर तरीके से परिभाषित किया है आपने, भारती दी।
ReplyDeleteधन्यवाद ज्योति जी
ReplyDeleteदोस्ती दिवस की शुभकामनाएं
सुन्दर सृजन
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteमित्र की सटीक खूबियाँ बताई हैं ।
ReplyDeleteधन्यवाद संगीता जी
Deleteआपकी लिखी रचना सोमवार 08 अगस्त 2022 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
बहुत बहुत धन्यवाद
Deleteवाह!
ReplyDeleteजे न मित्र दुख होहि दुखारी
तिनही बिलोकत पातक भारी।
तुलसी की इन पंक्तियों की याद दिला दी आपकी इस सुंदर कविता ने। बधाई और आभार।
धन्यवाद सर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteधन्यवाद मीना जी
Deleteबहुत ख़ूब
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteमैत्री दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteमित्रता पर सुंदर उदगार।
धन्यवाद कुसुम जी
Deleteवाह! दोस्त हो तो ऐसा
ReplyDeleteधन्यवाद अनीता जी
Deleteवाह ... बहुत सुंदर।
ReplyDeleteकम शब्दों में सुंदर दोस्ती की परिभाषा।
सादर।
धन्यवाद श्वेता जी
Deleteवाह, मित्र की खूबियां बताती रचना।
ReplyDeleteसादर
धन्यवाद अपर्णा जी
Deleteसार्थक रचना।
ReplyDeleteधन्यवाद सर
ReplyDeleteऐसे दोस्तों की अभिलाषा सभी करते हैं पर सफलता और असफलता अलग बात है।
ReplyDeleteधन्यवाद रचना जी
Deleteमित्र की खूबियों को बहुत सुन्दर तरीके से पिरोया है आपने...
ReplyDeleteमित्रता दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं ।
धन्यवाद सुधा जी
Deleteवाह! दोस्ती की महिमा बढ़ाती भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रिय भारती जी।।मैत्री दिवस और स्वतन्त्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं 🎍🎍🎉🎉🎁🎁🎊🎊💖♥️♥️🎀🎀🎀🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈
ReplyDeleteधन्यवाद रेणु जी
ReplyDeleteमित्र ! मित्र कि परिभाषा इतनी सरल है कि बताना मुश्किल है . . . . मित्र ! व्यर्थ बेमतलब जीवन के हर रंग मे मिल जाता है ,
ReplyDeleteहो सुख कि शहनाईं या कोई दुःख गहरा । हो प्रफुलित मन और दारू कबाव रम या फिर हो चोट खाया दिल - दिमाग और तन । जो हर जगह मिल जाता है। उसे ही (शाय़द ) मित्र कहा जाता है।
बेहतरीन प्रस्तुति ! सुन्दर !
धन्यवाद सर
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