Saturday 6 August 2022

दोस्त वही जो ढाल बने

 उर से उर की तार मिले

दुख-सुख में सौ बार मिले 

दोस्त वही जो ढाल बने

दुश्मन के लिए तलवार बने.

ना धर्म लड़े ना कर्म लड़े

दिन-रात हो जिससे मन ये जुड़े

हो पावस ग्रीष्म हेमंत ऋतु

लेकर हाथ हो साथ खड़े.

जब चित्त हो विकल अधीर बड़े

जो कहे कि हम हैं पास तेरे

दशा कोई हो इस जीवन का

संग में हर अवसाद हरे.

भारती दास ✍️


32 comments:

  1. दोस्त को बहुत ही सुंदर तरीके से परिभाषित किया है आपने, भारती दी।

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  2. धन्यवाद ज्योति जी
    दोस्ती दिवस की शुभकामनाएं

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  3. मित्र की सटीक खूबियाँ बताई हैं ।

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    1. धन्यवाद संगीता जी

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  4. आपकी लिखी रचना सोमवार 08 अगस्त 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद

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  5. वाह!
    जे न मित्र दुख होहि दुखारी
    तिनही बिलोकत पातक भारी।
    तुलसी की इन पंक्तियों की याद दिला दी आपकी इस सुंदर कविता ने। बधाई और आभार।

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  6. धन्यवाद सर

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  7. बहुत सुन्दर सृजन ।

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    1. धन्यवाद मीना जी

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  8. मैत्री दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
    मित्रता पर सुंदर उदगार।

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    1. धन्यवाद कुसुम जी

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  9. वाह! दोस्त हो तो ऐसा

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    1. धन्यवाद अनीता जी

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  10. वाह ... बहुत सुंदर।
    कम शब्दों में सुंदर दोस्ती की परिभाषा।
    सादर।

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    1. धन्यवाद श्वेता जी

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  11. वाह, मित्र की खूबियां बताती रचना।
    सादर

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    1. धन्यवाद अपर्णा जी

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  12. धन्यवाद सर

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  13. ऐसे दोस्तों की अभिलाषा सभी करते हैं पर सफलता और असफलता अलग बात है।

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    1. धन्यवाद रचना जी

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  14. मित्र की खूबियों को बहुत सुन्दर तरीके से पिरोया है आपने...
    मित्रता दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं ।

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    1. धन्यवाद सुधा जी

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  15. वाह! दोस्ती की महिमा बढ़ाती भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रिय भारती जी।।मैत्री दिवस और स्वतन्त्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं 🎍🎍🎉🎉🎁🎁🎊🎊💖♥️♥️🎀🎀🎀🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈

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  16. धन्यवाद रेणु जी

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  17. मित्र ! मित्र कि परिभाषा इतनी सरल है कि बताना मुश्किल है . . . . मित्र ! व्यर्थ बेमतलब जीवन के हर रंग मे मिल जाता है ,
    हो सुख कि शहनाईं या कोई दुःख गहरा । हो प्रफुलित मन और दारू कबाव रम या फिर हो चोट खाया दिल - दिमाग और तन । जो हर जगह मिल जाता है। उसे ही (शाय़द ) मित्र कहा जाता है।

    बेहतरीन प्रस्तुति ! सुन्दर !

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