चूड़ी बिंदी मेंहदी काजल
हंसता मुखड़ा उड़ता आंचल
छन-छन धुन में बजती पायल
उदगार भरा है अपार
है श्रावणी का त्योहार....
हरीतीमा हर्षित हरियाली
सजे हैं झूले डाली-डाली
लड़ी हो जैसे हीरों वाली
नभ छलकाता रस धार
है श्रावणी का त्योहार....
आनंद अखंड रहे हरपल ही
मुख अरविंद सजे हरपल ही
जन अनुरागी बने हरपल ही
कर शैल सुता उपकार
है श्रावणी का त्योहार....
भारती दास✍️
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(०१-०८ -२०२२ ) को 'अंश और अंशी का द्वंद्व'(चर्चा अंक--४५०८ ) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
धन्यवाद अनीता जी
Deleteअति सुन्दर..,मनोहारी भावाभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteधन्यवाद मीना जी
Deleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteधन्यवाद ज्योति जी
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद रचना जी
Deleteश्रावणी उत्सव की अनोखी छटा
ReplyDeleteधन्यवाद अनीता जी
ReplyDelete