Wednesday, 5 January 2022

मानते नहीं बच्चे बड़ों की बात


प्रमुख समस्या बनी है आज

मानते नहीं बच्चे बड़ों की बात

ज्ञान उपदेश वे नहीं समझते

भय दबाव से वे नहीं डरते

मोबाइल के संग में उलझे रहते

पढ़ाई-लिखाई में सहज न होते

माता पिता को समय नहीं है

गहन अनेकों तथ्य यही है

आसान नहीं है पालन पोषण

बाल निर्माण और अनुशासन

संग में उनके रहना पड़ता

हर मुश्किल को सुनना पड़ता

व्यवहार आचरण गढना पड़ता

चित्त को संयम रखना पड़ता

बाल मन को समझाना पड़ता

धीरज धारण करना पड़ता

माता पिता के कार्य कलाप

करते अनुसरण वे हर इक बात

थोड़ी कड़ाई थोड़ा प्यार

ना हो उपेक्षित सा व्यवहार

भावनात्मक हो उनका पोषण

हो व्यक्तित्व की जड़ों का सिंचन

बुरे लत का हो ना शिकार

सही दिशा में  मिले संस्कार

जीवन बहार बन खिल जायेगा

आदर्श मिशाल वो बन जायेगा.

भारती दास ✍️



21 comments:

  1. सुंदर सीख देता प्रेरक सृजन।
    बहुत सुंदर प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  2. धन्यवाद कुसुम जी

    ReplyDelete
  3. नियति वक्त से कौन लड़ सका है
    आदर्श रचना

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद विभा जी 🙏🙏

      Delete
  4. सही कहा है

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद अनीता जी

      Delete
  5. बिल्कुल सही
    बढ़िया रचना

    ReplyDelete
  6. धन्यवाद अनीता जी

    ReplyDelete
  7. धन्यवाद सरिता जी

    ReplyDelete
  8. बेहतरीन और सार्थक सृजन सखी

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद अभिलाषा जी

      Delete
  9. बहुत सुंदर रचना।

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद अनुराधा जी

      Delete
  10. वर्तमान परिदृश्य में अति सुन्दर रचना ।

    ReplyDelete
  11. धन्यवाद अमृता जी

    ReplyDelete
  12. बहुत सुंदर शिक्षाप्रद सृजन, भारती दी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद ज्योति जी

      Delete
  13. थोड़ी कड़ाई थोड़ा प्यार
    ना हो उपेक्षित सा व्यवहार
    भावनात्मक हो उनका पोषण
    हो व्यक्तित्व की जड़ों का सिंचन
    अति सुन्दर सृजन ।

    ReplyDelete
  14. समसामयिक समस्या पर महत्वपूर्ण रचना 🌷🙏🌷

    ReplyDelete
  15. धन्यवाद शरद जी

    ReplyDelete