Wednesday, 23 December 2015

क्यों दर्द हमें बेजार मिला



तू कहाँ चला तू कहाँ चला
क्यों सबसे यूँ मुख मोड़ चला
क्या खता हुई ये बता जरा
क्यों जग से नाता तोड़ चला
तू कहाँ चला ...................
तू छाँव भरा तरुवर पावन
तुझसे ही सजा था घर-आँगन
ना आंधी उठी ना शोर मचा
क्यों जीवन को झकझोर चला
तू कहाँ चला ......................
अब किस पर गर्व करेंगे हम
सूने से घर में जीयेंगे हम
ना तुझ पर कोइ जोर चला
क्यों बेदर्दी से छोड़  चला
तू कहाँ चला ..................
क्यों व्यर्थ हुआ पूजा-अर्चन
क्यों विफल हुआ संध्या-वंदन
ना रात ढली ना दिन निकला
क्यों दर्द हमें बेजार मिला
तू कहाँ चला तू कहाँ चला.         

                  

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