राजनीती में यही
है शोर
आम आदमी का है
जोर
जनता के बनकर
सिरमोर
अरविन्द चले
सत्ता की ओर
अन्ना के सहयोगी
बनकर
आन्दोलन में खड़े
थे डटकर
लोकपाल के बिल को
लेकर
हो गए प्रचलित –प्रखर
अब सत्ता की आई
बारी
मुद्दों की करके
तयारी
एक सपना साकार
होगा
नव - तंत्र का
अवतार होगा
राजनीती का पथ है
भ्रष्ट
सीधे लोग हो जाते
त्रस्त
बेईमान की जगह
वहां है
ईमानदार की जगह
कहाँ है
नेताओं के पंगु
विचार
जूझते गरीव और
लाचार
‘’आप’’बात बनाना
छोड़े
जनता को आजमाना छोड़े
युग के अनुरूप
हुआ चुनाव
लोगों ने देखा
भोर का ख्वाव
अब अपना वादा
निभाए
कार्य करे वो ना
कतराए .
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