मौन की शक्ति गूढ़ अपार
जीवन शिक्षण के आधार
अंतर मन को मिलती शक्ति
महान कार्य की होती सिद्धि
मूक रवि के ढलने का स्वर
सब पशु –पक्षी आ जाते घर
निःशब्द रात का प्रणय-निवेदन
शशि- रश्मि का मौन समर्पण
प्यासी धरती की अकुलाहट
प्यास बुझाते बादल झट-पट
मौन ही मौन का है ये स्वर
कर्म का रूप लेकर
प्रखर
हर घटक के साथ लगाव
नहीं कोई बैर न कोई दुराव
चाणक्य का वो मौन संकल्प
जन्मा अतुल भारत अखंड
दीपक भी तो मौन ही रहता
अंधकार में राह दिखाता
पुष्पें भी तो रोज ही खिलता
बिना स्वार्थ के खूशबु देता
अनंत काल से खड़ा हिमालय
योगी-यति-मुनि का आलय
मौन ही रहकर सेवा करता
देह गला कर गंगा देता
प्रकृति का अनुपम ये प्यार
जीवों में करती संचार
अहंकार ना कोई आसक्ति
मौन है भक्ति मौन है शक्ति .
सूरज का ढलना, चाँद की रौशनी, पहाड़ों की स्थिरता, सब बिना शोर के कितनी बड़ी बातें कह देते हैं। हम लोग अक्सर सोचते हैं कि कुछ बड़ा करना है तो बहुत बोलना पड़ेगा, लेकिन यहाँ लगता है कि असली शक्ति तो भीतर की शांति में ही पलती है।
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