Saturday, 22 March 2025

सद्भावों की प्रेरणा देता


कवि प्रेम की कल्पना करता

सर्वदा शुभ कामना करता 

कर्तव्यों की अवधारणा करता 

सद्भावों की प्रेरणा देता।

देश की गौरव गान सुनाता 

मातृभूमि का मान बढ़ाता 

नारायण की महिमा गाता

विद्या कौशल ज्ञान सिखाता।

कहते कवि हरदम यही  

दुर्बल दशा ना हो कभी 

आश और विश्वास की

जलता रहे दीपक यूँही।

विषपूर्ण ईर्ष्या हो नहीं 

सद्गुण भरे मन हो सभी 

जीत श्रम का हो सही 

हरपल हँसे नभ और मही।

भारती दास ✍️ 

7 comments:

  1. बहुत बहुत धन्यवाद यशोदा जी

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  3. वाह !! कितनी सुंदर कामना है

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी

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  4. सब ओर खूबसूरत देखने की एक लेखक की आदत होती है। एक अच्छे लेखक के गुण हैं आपमें भारती जी।

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  5. बहुत बहुत धन्यवाद रीतू जी

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  6. बहुत ही सुंदर संदेश ।

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