Saturday, 30 August 2025

अपनी इच्छा पर निर्भर है

 

 अपनी इच्छा पर निर्भर है

जीवन में उत्थान-पतन 

शील स्वभाव उन्नत विचार से 

मानव पाता है नेह सुमन।

जिस तरूवर ने पाला पोसा 

प्राणों में रक्त संचार किया 

उसी वृद्ध पावन तरुवर को

क्रूरता से संहार किया।

तिरस्कृत है वह कटु भाषा 

जिससे टूटता हृदय की तार 

परवाह नहीं जिसे अपनों की

कष्ट वेदना देता है अपार।

उस घर का दुर्भाग्य सदा है 

होता जहाँ निष्ठुर व्यवहार 

पतित कर्म को करने वाले 

हमेशा पाता है दुत्कार।

अशुभ आचरण विकृत विचार 

नज़रों में सबके गिरा देता है

मन कुंठित होता ग्लानि से 

अपनों को जब खो देता हैं।

भारती दास ✍️

Thursday, 14 August 2025

भारत माँ के चरणों में

 

लंबे संघर्ष और असंख्य बलिदान

अनगिनत यातना और घोर अपमान 

मन पीड़ित और मूर्छित था प्राण 

था वीभत्स रूप में देश की आन ।

सुंदर सपना आजाद हुआ 

कर्म कुसुम भी आबाद हुआ 

उमंग-तरंग बल तंत्र हुआ 

देश ये प्यारा  स्वतंत्र हुआ ।

स्वर्ण प्रभात का धूप मिला 

अरमानों को नव रुप मिला 

साज़ आवाज अंदाज मिला 

कंधों से कंधों का साथ मिला ।

भारत माँ के चरणों में 

हरदम शीश झुकाएँगे है

आजादी है सबको प्यारी 

उत्सव खूब मनाएँगे ।

भारती दास ✍️

Thursday, 7 August 2025

निर्मल पावन चंचल ये मन


है महीनों से उत्साहित हरदम

निर्मल-पावन चंचल ये मन

बरसों बाद ये मौका आया 

राखी का पर्व अनोखा आया 

आनंद मगन है उर-अंतर्मन 

है महीनों से उत्साहित हरदम....।

शैशव जैसा है उल्लास 

स्नेही भाई भी है खास 

सुख हो दुःख या हो कोई क्षण 

है महीनों से उत्साहित हरदम....।

भगवान रुद्र हरे सब व्यथा 

हो प्राप्त धन-यश सर्वदा 

सत्य-सरल सुखमय हो जीवन 

है महीनों से उत्साहित हरदम....।

प्रेम-सौहार्द का उन्मेष रहे

आशीष सदा ही विशेष रहे

हो सुंदर मंगलमय हर-पल 

है महीनों से उत्साहित हरदम....।

भारती दास ✍️