देव ने सुंदर उपकार किया
आंचल में बेटी उपहार दिया
एक मनमोहक उदगार दिया
स्नेह का रूप आकार दिया
जीवन में सुख संचार किया।
सौन्दर्य सरोवर चिर मंगल हो
हृदय प्रणय से पूर्ण सकल हो
पथ उत्साह से भरे सफल हो
मृदु अधर पर खिले कमल हो
तुमने स्वप्न साकार किया।
सब बाधाओं का कटार बनो
तुम चंडी सा अवतार बनो
है शक्ति तुममें स्वीकार करो
तुम जन-जन का आधार बनो
मैंने दुआ यही हर बार किया।
भारती दास ✍️
सुंदर सृजन
ReplyDeleteधन्यवाद अनीता जी
ReplyDeleteपूरी कविता में एक प्यार है, एक गर्व है, और साथ ही वो आशीर्वाद भी जो हर बाप अपनी बेटी के लिए दिल से माँगता है। भाईसाब, ये कविता बस कविता नहीं है, जैसे किसी बाप का दिल बोल पड़ा हो। आपकी ये रचना सिर्फ तारीफ़ के लायक नहीं, ये वो चीज़ है जो पढ़ने वाले के मन में बेटी के लिए एक नई इज़्ज़त भर देती है।
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