Sunday, 30 October 2016

आत्मज्योति से मने दिवाली



अंधकार का ह्रदय चीरकर
दीये जले हैं प्रेम से भरकर
सघन निशा को तार-तार कर
फैला प्रकाश पंख को पसारकर.
प्रचंड प्रखर संकल्प की शोभा
नष्ट न हो ये प्रदीप्त सी आभा
नीति-धर्म-सेवा-मर्यादा
ज्योतिर्मय बन संवरें आशा.
स्नेह की लौ से जले दीवाली
खुशियों से भर उठे दीवाली
अभिव्यक्ति बन हँसे दीवाली
आत्मज्योति से मने दीवाली.  
   

Saturday, 15 October 2016

शरद सुंदरी अभिनन्दन है



हे शरद सुंदरी अभिनन्दन है
तेरे सुन्दर अरुण चरण पर
मृदुल कुसुम करता वंदन है.
शरद सुंदरी अभिनन्दन है....
बीत गयी पावस की रातें
सजल सघन घन की बरसातें
दृश्य मनोरम मुग्ध नयन है
शरद सुंदरी अभिनंदन है....
स्वागत गीत गाती विहंगिनी
शशि मुख चूमती जल तरंगिणी
मधु बरसाता सोम किरण है
शरद सुंदरी अभिनन्दन है.....
हरसिंगार का फैला आंचल
ओस नहाई विविध सुमन-दल
हरशय हरपल में पुलकन है
शरद सुंदरी अभिनंदन है.....
खेतों में धाने लहराई
कास की फूलें भी मुस्काई
हर्षित जन का अंतर्मन है
शरद सुंदरी अभिनन्दन है.....
मादकता की अंगराई सी
सुन्दरता की परछाई सी
रूप मोहिनी छवि अनुपम है
शरद सुंदरी अभिनन्दन है.....
प्रकृति का ये रूप सुहाती
शुभ्र कल्पना ख्वाब सजाती
भाव अनेकों शुभ चिंतन है
शरद सुंदरी अभिनन्दन है.....