तुम क्यों रूठे हो गोपाल
मेरी विनती सुनो नन्दलाल
भक्तों के तुम हो रखवाले
दीनों के तुम पालनहारे
तुम सबके दीनदयाल ,तुम क्यों .....
मीरा ने गीतों में बसाया
राधा ने प्रीतों में समाया
तुम रखते सबका ख्याल, तुम क्यों .....
शांतिदूत बनकर तुम आये
साग विदुर घर के तुम खाये
तुम पुरुषोतम हर-हाल,तुम क्यों .....
मीत सुदामा के कहलाये
द्रोपदी के तुम चीर बढ़ाये
तुम रक्षक बन तत्काल
तुम क्यों रूठे हो गोपाल
मेरी विनती सुनो
नन्दलाल.
भारती दास ✍️
आपने गोपाल को जिस प्यार और अपनापन से पुकारा है, वह पूरे भाव को और भी जीवंत बना देता है। आपने मीरा, राधा, सुदामा और द्रोपदी जैसी बातें लाकर भक्ति को एकदम घरेलापन दे दिया। पढ़ते-पढ़ते ऐसा लगता है जैसे कोई अपने प्यारे दोस्त को मनाने की कोशिश कर रहा हो।
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